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15 मार्च 2014

शहीद जवानों के पेट में बम प्लांट करने वाले नक्सलियों ने किया सरेंडर



रांची/गढ़वा। पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के दो माओवादियों ने पुलिस के समक्ष शुक्रवार को आत्मसमर्पण किया। दोनों ने पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार झा एवं सीआरपीएफ के कमांडेंट कमलेश सिंह सहित कई पुलिस पदाधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया।  पुलिस के मुताबिक, ये वही नक्सली हैं जिन्होंने पिछले साल जनवरी में लातेहार शहीद जवानों के पेट में बम प्लांट किया था। कई अन्य मामलों में भी इनकी तलाश थी।
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में मुन्ना कोरवा गुरिल्ला आर्मी का उप कमांडर रह चुका है। जबकि दूसरा मंगरु कोरवा उर्फ सकेंदर गुरिल्ला आर्मी का सदस्य था। दोनों भंडरिया थाना क्षेत्र के टेहरी गांव के खीराखांड़ टोला के रहने वाले हैं। दोनों वर्ष 2009 में संगठन से जुड़े थे। उक्त दोनों माओवादियों पर छत्तीसगढ़ व झारखंड के कई थानों में पांच मामले दर्ज हैं।
पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार झा ने कहा कि उक्त दोनों माओवादी 2012 में भंडरिया थाना क्षेत्र में घटी घटना में शामिल थे जिसमें थाना प्रभारी सहित 14 पुलिसकर्मी मारे गए थे। इसके अतिरिक्त लातेहार के कुमंडी में हुए मुठभेड़ में भी शामिल थे, जहां माओवादियों ने सीआरपीएफ के मृत जवानों के पेट में बम प्लांट किया था। इसके अतिरिक्त लातेहार जिले के ही टेहरी गांव में हुए मुठभेड़ में भी उक्त दोनों माओवादी शामिल थे।
वर्ष 2013 में गुमला के सिविल गांव में हुए उग्रवादी घटना में उक्त दोनों शामिल थे। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ के बलरामपुर थाना क्षेत्र में घटी उग्रवादी घटना में बलरामपुर थाना के द्वारा इनके घर की कुर्की भी की गई है। एसपी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले मुन्ना कोरवा तीसरी कक्षा पास है जबकि मंगरु कोरवा अनपढ़ है। एसपी ने बताया कि उक्त दोनों निहत्थे ही पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।
एसपी ने बताया कि सरकार की पुर्नवास नीति के तहत उक्त दोनों को सरकारी सहायता प्रदान की जाएगी। उन्‍होंने कहा कि मुख्यधारा से जुडऩे वाले लोगों को मुख्यधारा में लाएंगे। उन्‍होंने कहा कि वे अन्य माओवादियों से भी अपील करेंगे कि वे मुख्य धारा से जुड़कर सामान्य जिंदगी जीएं।
ऐसे हुआ आत्मसमर्पण
पुलिस बहुत दिनो से उक्त दोनों माओवादियों के परिवार वालों से संपर्क में थी। दोनों माओवादियों के परिजनों ने आत्मसमर्पण के लिए उक्त दोनों पर दबाव भी बनाया। दोनों माओवादी संगठन से छुट्टी लेकर घर आए थे। इसी बीच दोनों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
आत्मसमर्पण के बाद दोनों माओवादियों ने कहा कि वे अपने परिवार वालों की प्रेरणा से स्वेक्षा से आत्मसमर्पण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि माओवाद का सिद्धांत सही है। लेकिन आज माओवादी अपने सिद्धांत से भटक गए हैं। जैसा सोचा था वैसा काम संगठन में नहीं हो रहा है। संगठन में छोटे स्तर के सदस्यों के साथ गाली गलौज एवं अभद्र व्यवहार करना आम बात है। संगठन में बड़े पदाधिकारियों के द्वारा खूब शोषण किया जाता है। जिससे आजिज होकर उन्‍होंने संगठन से रिश्ता तोड़ डाला। दोनों ने कहा कि संगठन में महिलाओं के साथ भी अच्छे बरताव नहीं होते। दोनों नक्सलियों ने कहा कि वे लोग जोनल कमांडर कुलदीप जी, अक्षय जी एवं इंद्रजीत जी के दस्ते में चलते थे।

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