कल शाम कई सारी पुरानी यादें,
मेरे घर की सीढीयों पर बैठी, खूब बतियाती रहीं !
फिर रात हुयी,
उन्हें अकेले अपने घर लौटने में डर लगता रहा,
और मुझे उन्हें छोड़ने जाने में !
मैं उन्हें छोड़ने जा ना सका...सो वो रुक गयीं,
फिर कितनी सारी बातें, सो भी न पाए रात भर !
और फिर सुबह,
मैंने ही उन्हें कह दिया हमेशा की तरह,
"रुक जाओ ना यहीं.... कुछ दिनों के लिए !!"
मेरे घर की सीढीयों पर बैठी, खूब बतियाती रहीं !
फिर रात हुयी,
उन्हें अकेले अपने घर लौटने में डर लगता रहा,
और मुझे उन्हें छोड़ने जाने में !
मैं उन्हें छोड़ने जा ना सका...सो वो रुक गयीं,
फिर कितनी सारी बातें, सो भी न पाए रात भर !
और फिर सुबह,
मैंने ही उन्हें कह दिया हमेशा की तरह,
"रुक जाओ ना यहीं.... कुछ दिनों के लिए !!"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)