आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

26 मार्च 2014

कल शाम

कल शाम कई सारी पुरानी यादें,
मेरे घर की सीढीयों पर बैठी, खूब बतियाती रहीं !
फिर रात हुयी,
उन्हें अकेले अपने घर लौटने में डर लगता रहा,
और मुझे उन्हें छोड़ने जाने में !
मैं उन्हें छोड़ने जा ना सका...सो वो रुक गयीं,
फिर कितनी सारी बातें, सो भी न पाए रात भर !
और फिर सुबह,
मैंने ही उन्हें कह दिया हमेशा की तरह,
"रुक जाओ ना यहीं.... कुछ दिनों के लिए !!"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...