न्यायमूर्ति बी.एस चौहान की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'मुझे अनेक पत्र मिले हैं जिसमे कहा गया है कि अदालत के आदेश के बावजूद आधार कार्ड बनाना अनिवार्य है। एक पत्र में तो यह लिखा है कि उसकी शादी का पंजीकरण इसलिये नही हो सका, क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नही था। ऐसे ही एक और पत्र में लिखा है कि आधार कार्ड नही होने के कारण मकान की रजिस्ट्री नही हो सकी।'
पीठ ने कहा, 'हम पहले ही आदेश दे चुके हैं कि आधार कार्ड नही होने के कारण किसी को परेशानी नही होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि अगर कोई ऐसा निर्देश है आधार कार्ड होना अनिवार्य है तो उसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।'
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