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01 मार्च 2014

कुंभ: पेमेंट पर लाए गए थे नागा साधु, कम पैसा मिला तो अफसरों को दौड़ाया



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कुंभ: पेमेंट पर लाए गए थे नागा साधु, कम पैसा मिला तो अफसरों को दौड़ाया
नवापारा राजिम. राजिम कुंभ के समापन समारोह में एक दिन पहले जगत्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सवाल खड़े किए तो दूसरे दिन पैसे को लेकर नागा साधुओं ने बवाल मचा दिया। इस कुंभ में देशभर से साधुओं को सरकार ने बुलाया था। सभी को सम्मान निधि दी जानी थी, लेकिन अलग-अलग सम्मान निधि दिए जाने से कई साधु नाराज हो गए। क्योंकि इससे उन्हें कम पैसे मिल रहे थे। तकरीबन साढ़े छह सौ से ज्यादा हथियारबंद नागा साधुओं ने शनिवार दोपहर को पेमेंट देने आए दो सरकारी अफसरों को घेर लिया। अफसर जान बचाकर भागे तो साधुओं ने दौड़ाया। उन्होंने कहा कि रविवार तक मामला नहीं निपटा तो रायपुर मंत्रियों के घर जाएंगे। इस बार  एक करोड़ 17 लाख रुपए साधुओं को बांटे जाने हैं।
 
शनिवार दोपहर डेढ़ बजे अधिकारी प्रताप पारख और सुधीर दुबे 650 से ज्यादा नागा साधुओं को पैसा देने पहुंचे। साधुओं को पता चला कि दूसरे अखाड़े वालों को राज्य सरकार ने दोगुना पैसा दिया है। साधु भड़क गए। पारख और दुबे वहां अकेले थे। पुलिस फोर्स भी हट चुकी है। अफसरों ने समझाने की कोशिश की तो अचानक कुछ साधुओं ने लाठियां और हथियार उठा लिए और अफसरों की तरफ बढ़ने लगे। माहौल बिगड़ता देखकर दोनों अफसर वहां से भागे। कुछ साधुओं ने पीछा किया। बाद में अधिकारियों ने वहीं से धमतरी एसपी और कुरूद के एसडीएम को फोन पर सारा घटनाक्रम बताया। कुछ ही देर में वहां पुलिस पहुंच गई।  
 
साधुओं को मानदेय
 
सरकार विभिन्न अखाड़ों के महंत, महामंडलेश्वर के अलावा नागा साधु-संतों को यहां आने के कारण सम्मान निधि देती है। करोड़ों रुपए मानदेय निर्धारिता होता है। मानदेय, आवागमन, आवास, भोजन एवं उनकी अन्य जरूरतों की पूर्ति भी विभाग करता है। सरकार ये सब साधुओं के कद के हिसाब से देती है।
 
गलत बता रहे थे संतों की संख्या
 
"साधु-संत, महंत के मानदेय का भुगतान विभागीय प्रक्रिया के तहत किया जाता है। बिंदू जी महाराज के साथ 195 साधु-संत थे, जबकि वे 230 के होने का दावा कर रहे थे। यह गलत था।" गिरीश बिस्सा, ओएसडी, संस्कति विभाग
 
ज्यादा राशि पर हस्ताक्षर करवाए
 
"अफसर ज्यादा राशि पर दस्तखत करवा रहे हैं। सवा चार लाख रु. की बात हुई थी, तीन लाख ही दे रहे हैं।" बिंदु महाराज, पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के बड़े महंत

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