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10 मार्च 2014

जब तक हाडोती के इस शेर कॉमरेड हमीद उर्म मुन्ना कॉमरेड में दम था ,,, यह ना बिका ,,ना डरा ,,ना पुलिस के डंडे या मौत के डर से दबा

जब तक हाडोती के इस शेर कॉमरेड हमीद उर्म मुन्ना कॉमरेड में दम था ,,, यह ना बिका ,,ना डरा ,,ना पुलिस के डंडे या मौत के डर से दबा ,, लेकिन देखिये हाडोती के इस शेर कॉमरेड हमीद के बाद इनके पार्थिव शरीर को दो गज़ ज़मीन ने दबा दिया ,,यही है ज़िंदगी की हक़ीक़त ,,मौत इसे आयना दिखाती है ,जी हां दोस्तों कोटा में ज़ुल्म ज्यादती के खिलाफ इंक़लाब का परचम लहरा कर अपनी जान की परवाह मज़लूमो को इन्साफ दिलाने वाला यह मसीहा क़रीब दो दशक तक कोटा में मज़दूर और मज़लूमों के दिलों का राजा बना रहा ,,,,,,,, आज सुबह गरीबों के इस मसीहा ने आखरी सांस ली और इनका संस्कार कोटा घंटाघर स्थित जामामस्जिद वाले क़ब्रिस्तान में धार्मिक रीती रिवाज से भीगी हुई आँखों से क्या गया ,,,कल घंटाघर स्थति जमा मस्जिद में सुबह आठ बजे से इनके स्वेम की फातिहा तीसरे की बैठक है ,,,,,,चाहे बीड़ी मज़दूर हो ,,चाहे खान मज़दूर ,,फेक्ट्री के मज़दूर हो या फिर अखबार बांटने वाले होकर ,,पत्रकार संघ हो या फिर कर्मचारियों के संगठन हो सभी लोगों के कॉमरेड हमीद लाडले थे ,,,भ्रस्ट पुलिस अधिकारी ,,पुलिस कर्मी ,,अधिकारीयों में इनके नाम की दहशत थी क्योंकि पुख्ता सुबूत होने के बाद किसी भी भ्रष्ट अधिकारी का आम जनता की उपस्थिति में गधे पर जुलुस निकलना ज़रूरी क़दम होता था ,,,,,चाहे बढ़े से बढ़ा दादा हो ,,सेठ हो पूंजीपति हो ,,,नेता हो ,,मज़दूर हो सभी इनकी चोखट पर इनसे मिलने और इन्साफ मांगने ज़रूर जाते थे ,,,दलित और गरीब मज़दूरों के इस मसीहा को दो बार घंटाघर इलाक़े से पार्षद चुना गया ,,,,फिर यह कम्युनिस्ट और समाजवाद के फाउंडर मेंबर रहे है ,,,,मुख्यमंत्री मोहन लाला सुखाडिया हो चाहे बरकतुल्ला मुख्यमंत्री हो चाहे भेरोसिंह शेखावत मुख्यमंत्री रहे हो सभी इस मसीहा को अपने साथ अपनी सियासी पार्टी के साथ जोड़ने के लिए आतुर थे और इनकी पार्टी से जुड़ने पर हर शर्त मानने को तैयार थे लेकिन एकला चलो रे की तर्ज़ पर चलें वाले इस कामरेड हमीद ने किसी की न सुनी और मज़दूर ,,दलित गरीबों की मदद का रास्ता चुना ,,,,दलित और गरीबों पर पुलिस की लाठी का हर वार इन्होने अपने ऊपर झेला और यही वजह रही के इनके शरीर की हर हड्डी पुलिस की लाठी से तोड़ लेकिन इन्होने निर्भीक और निडर होकर हमेशा मज़लूमों के हक़ में आवाज़ उठाई है ,,आज इस मसीहा को जब लोगों ने अनजान मौत की तरह अशुरपूर्ण श्रद्धांजलि दी तो लोगों के दिल और दिमाग में कई सवाल थे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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