कहते है पुरानी दोस्ती खून के रिश्ते से भी
ज़्यादा अज़ीज़ होती है ,,,,,,,,कोटा में कॉमरेड हमीद उर्फ़ मुन्ना भाई और
कॉमरेड अब्दुल वहीद की दोस्ती कुछ ऐसी ही थी ,,आपस में साथ रहना पड़ोसी होना
और कॉमरेड गिरी में जनहित में संघर्ष साथ साथ करना ,,,अच्छे बुरे वक़त में
एक साथ रहना ,,,खासकर जब कॉमरेड हमीद की बीमारी का वक़त आया तब खिमतगर के
रूप में इस दोस्त कॉमरेड अब्दुल वहीद ने एडवोकेट जमील अहमद के साथ मिलकर
अपने दोस्त अपने भाई होने का फ़र्ज़ निभाया ,,,जब कॉमरेड अब्दुल वहीद सुकेत
के सरपंच अफ़ज़ल मंसूरी के वालिद के इंतिक़ाल
के बाद झालावाड़ के पास एक गांव उनके दुःख में शामिल होने गए तो रात ज़यादा
हो जाने से उनके बेटी के यहाँ सुकेत रुक गए ,,कॉमरेड वाहिद ने सुबह सवेरे
ख़्वाब देखा जिसमे कॉमरेड अबदल हमीद उर्फ़ मुन्ना भाई की म्रत्यु हो गयी है
फिर भी वोह खिड़की में आकर कॉमरेड वहीद को देख रहे है ,,कॉमरेड वहीद ने
कॉमरेड हमीडी को देखकर सवाल क्या के तुम तो मर गए फिर केस वापस आये ,,उनका
कहना था क्यूँ में मरकर वापस नहीं आ सकता क्या ,,खेर घबराकर कॉमरेड हमीद
उठे और कोटा का रुख क्या यह ख़्वाब सभी को सुनाया और इधर रात को कॉमरेड
अब्दुल हमीद की तिबयत अचानक खराब हुई उन्हें पहले भारत विकास परिषद और फिर
एम बी एस अस्प्ताल ले जाया गया जहां सुबह सवेरे कॉमरेड हमीद की गोद में एक
दोस्त कॉमरेड अब्दुल वहीद ने दम तोड़ दिया ,,कॉमरेड वहीद और उनके दोस्त
जिन्हे उन्होंने यह ख़्वाब सुनाया था वोह सोचते रहे यह संजोग था या फिर किसी
दोस्ती का सुबूत ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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