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08 फ़रवरी 2014

राहुल क्‍यों बोले कि चाय वालों की इज्‍जत करो, उल्‍लू बनाने वालों की नहीं, समझिए

नई दिल्‍ली. कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को गुजरात के बारदोली में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, 'हिंदुस्‍तान का हर आदमी कोई न कोई काम करता है। कोई चाय बेचता है, कोई टैक्‍सी चलता है, कोई खेती करता है। हमें सबका सम्‍मान करना चाहिए। चाय बेचने वालों का भी, मजदूरों का भी, किसानों का भी। लेकिन, जो दूसरों को उल्‍लू बनाते हैं उनका सम्‍मान नहीं करना चाहिए।' दो दिन पहले ही राहुल पार्टी प्रवक्‍ताओं से कह चुके हैं कि वे मोदी के चाय बेचने को लेकर कोई टिप्‍पणी नहीं करें। फिर, शनिवार को उन्‍होंने खुद चाय बेचने वालों का जिक्र क्‍यों किया?
 
'डैमेज कंट्रोल' की कोशिश
मणिशंकर अय्यर ने कुछ दिन पहले एआईसीसी बैठक से पहले कहा था, 'मोदी इस सदी में तो पीएम नहीं बन सकते। हां, अगर वह एआईसीसी सम्‍मेलन में चाय बेचना चाहें तो कुछ इंतजाम हो सकता है।' उनके इस बयान को भाजपा ने चायवालों की बेइज्‍जती बताया। शायद इसी की भरपाई के लिए राहुल ने अलग तरीके से मोदी को निशाना भी बनाया और चाय बेचने वालों की बेइज्‍जती के आरोप की काट भी निकाली।
 
भाजपा ने चाय का मुद्दा चुनावी बना दिया है 
 
अय्यर के बयान के कुछ दिन बाद ही भाजपा नमो टी स्‍टॉल पर लोगों को चाय पिलाने लगी और लोगों के सामने 'चाय पे चर्चा' नामक चुनावी कैंपेन की पूरी योजना लोगों के सामने रख गई। पार्टी 12 फरवरी से इस अभियान के तहत टी स्‍टॉल पर नरेंद्र मोदी के साथ लोगों का संवाद करवाने जा रही है। गुजरात में भी बड़ी संख्‍या में नमो टी स्‍टॉल खोले गए हैं। इसके मद्देनजर राहुल ने चाय को लेकर हो रही भाजपाई राजनीति की धार कुंद करने के मकसद से यह बयान दिया होगा।
 
कांग्रेस के अभियान को मजबूती देना
मोदी के मुताबिक वह बचपन में चाय बेचा करते थे। भाजपा और मोदी लगभग हर सभा में किसी न किसी बहाने इसका जिक्र करते हैं। हालांकि, गुजरात के कांग्रेसी नेता इसके खिलाफ अभियान चलाते रहे हैं और मोदी के इस दावे को गलत बताते हैं। राहुल का यह बयान स्‍थानीय कांग्रेस के अभियान के समर्थन और उसे मजबूती देने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है।
 
तात्‍कालिक कारण 
मोदी ने शनिवार को असम में रैली की। असम चाय के लिए मशहूर है। ऐसे में यहां मोदी के लिए चाय का जिक्र नहीं करना मुमकिन नहीं था। राहुल के लिए भी तत्‍काल इसकी काट देना जरूरी था। मोदी ने इंफाल और गुवाहाटी की सभाओं में जो बातें कीं, राहुल ने लगभग सभी का जवाब गुजरात की अपनी जनसभा में दिया।

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