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20 फ़रवरी 2014

हंसराज हंस बोले- 'मेरा धर्म इंसानियत, पाकिस्तान में इस्लाम नहीं कबूला'


हंसराज हंस बोले- 'मेरा धर्म इंसानियत, पाकिस्तान में इस्लाम नहीं कबूला'
जालंधर. मैं सूफी हां। सूफी दी जात इंसानियत हुंदी ए। हर मजहब दा एहतराम करदा हां। मेरा धर्म इंसानियत है। सूफी सब मजहबां दा सत्कार करदा ए। सबदा सांझा हुंदा ए। मैं न कास्टइज्म ते न ही होर मजहब च विश्वास रखदा हां। मैं इस्लाम नहीं कबूलया। ये कहना है पाकिस्तान से लौटे सूफी गायक हंसराज हंस का।
उन्होंने कहा मैं सभी धर्मों का सांझा हूं। मैं पूरी दुनिया में घूम कर इंसानियत, शांति और अमन का प्रचार करता हूं। पाकिस्तान 15 फरवरी को गया और 19 रात को लौटा हूं। लाहौर की औरत फाउंडेशन ने चैरिटी शो के लिए बुलाया था। हंस ने बताया कि वह पाकिस्तान के पहले सिख सांसद रमेश सिंह अरोड़ा के बुलावे पर वहां गए थे। पता नहीं कहां से सोशल साइट पर यह खबर चली। ऐसा बिल्कुल नहीं है। मुझे पाकिस्तान में भी फोन पर पता चला कि देश में कुछ ऐसा छपा है, कि मैंने इस्लाम कबूल कर लिया है।
उन्होंने कहा- मैंने जब से जन्म लिया है, तब से ही सूफी हूं। इंसानियत ही मेरा मजहब है। सुबह हंस के बड़े बेटे नवराज हंस ने फेसबुक स्टेट्स अपडेट किया उनके पिता के बारे चल रही बातें केवल अफवाह है।
...सर झुका तो दिया, दिल कभी न झुका
हंस राज हंस ने अपने फोन पर अपने नए गीत 'दिल मेरा काबा' की रिंगटोन लगा रखी है। इसके बोल हैं ...सिर झुका तो दिया, दिल कभी न झुका है। उन्होंने कहा कि मैंने तो अपने गीत में भी साफ कहा है कि सिर्फ सिर ही उसके सजदे में झुका देने से कोई कट्टर नहीं होता। ऐसे मजहब का एहतराम कैसा किया जा सकता है। इसलिए सिर के साथ दिल को भी उसके सजदे में झुकाना चाहिए।

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