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13 फ़रवरी 2014

दिल्ली विधानसभा में हंगामाः केजरीवाल ने बताया कांग्रेस-बीजेपी की सांठगांठ


दिल्ली विधानसभा में हंगामाः केजरीवाल ने बताया कांग्रेस-बीजेपी की सांठगांठ
जनलोकपाल बिल पर आर-पार की लड़ाई लड़ रहे दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर यू-टर्न ले लिया है। गुरुवार को जनलोकपाल बिल पेश करने का फैसला सरकार ने टाल दिया है। बुधवार को तैयार एजेंडे के मुताबिक बिल पेश होना था। लेकिन, गुरुवार को विधानसभा में जो एजेंडा पेश किया गया उसमें जनलोकपाल बिल पेश किए जाने का जिक्र नहीं था। 
 
इससे पहले केजरीवाल सरकार को केंद्र सरकार की ओर से बड़ा झटका लगा था। कानून मंत्रालय ने दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल (एलजी) नजीब जंग को राय दी है कि इस बिल को विधानसभा में पेश करने से पहले सरकार को उनकी (एलजी) मंजूरी लेनी होगी। इसके साथ ही इस बात की संभावना बढ़ गई थी कि केजरीवाल सरकार आज दिल्‍ली विधानसभा के सत्र में जनलोकपाल बिल को पेश नहीं कर सकेगी। 
 
केजरीवाल सरकार को झटका
कानून मंत्रालय ने कहा है कि दिल्‍ली जनलोकपाल बिल, 2014 वित्‍तीय विधेयक है। लिहाजा इस पर दिल्‍ली सरकार को केंद्र से पहले मंजूरी लेनी ही होगी। कानून मंत्रालय ने यह भी कहा है कि ट्रांजैक्‍शन ऑफ बिजनेस ऑफ द गर्वनमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ डेल्‍ही रूल्‍स, 1991 के नियम 55 और 56 संवैधानिक हैं। कानून सचिव पी.के. मल्‍होत्रा ने बुधवार को गृह मंत्रालय को यह रिपोर्ट भेजी है।
 
केजरीवाल का क्‍या है दावा
केजरीवाल का कहना है कि अगर दिल्‍ली विधानसभा को हर बिल पास करने से पहले केंद्र की मंजूरी लेनी पड़े तो फिर विधानसभा का मतलब क्‍या रह जाएगा? इस दलील के साथ उन्‍होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय से ट्रांजैक्‍शन बिजनेस रूल में बदलाव की भी मांग की है। मंत्रालय इससे इनकार कर चुका है। 
 
इसी खींचतान के चलते एलजी नजीब जंग ने कानून मंत्रालय से राय मांगी थी। राय दो सवालों पर मांगी गई थी। पहला कि क्‍या जनलोकपाल बिल को विधानसभा में रखे जाने से पहले एलजी की मंजूरी जरूरी है? और दूसरा, कि क्‍या ट्रांजैक्‍शन ऑफ बिजनेस ऑफ द गर्वनमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ डेल्‍ही रूल्‍स, 1991 के नियम 55 और 56 संवैधानिक हैं? मंत्रालय ने दोनों ही सवालों के जवाब हां में दिए हैं। 
 
अब आगे क्‍या हो सकता है
1. केजरीवाल सरकार इस सत्र में विधानसभा में बिल पेश करे ही नहीं।
2. हंगामे और विरोध के बावजूद सत्र के दौरान किसी दिन केजरीवाल सरकार बिल पेश कर दे। 
3. बिल पारित कराने में कोई पार्टी सहयोग नहीं करे।
4. भाजपा मतदान का बहिष्‍कार कर गैरहाजिर हो जाए और बिल पारित हो जाए। पर बाद में एलजी मंजूरी देने से इनकार कर दें।  
 
बिल पर वोटिंग हुई तो विधानसभा में कौन किधर जा सकता है
 
केजरीवाल की पार्टी के 27 विधायक : बिल का समर्थन करेंगे 
कांग्रेस के आठ विधायक: समर्थन शायद ही करें, क्‍योंकि वे कह चुके हैं कि असंवैधानिक बिल को समर्थन नहीं देंगे
जद(यू) छोड़ चुके विधायक शोएब इकबाल: सरकार के साथ हैं, पर वह कह चुके हैं कि केजरीवाल सरकार संविधान से ऊपर नहीं। ऐसे में उनका रुख साफ नहीं है।  
बिनोद कुमार बिन्‍नी: बिल के खिलाफ, क्‍योंकि 'आप' उन्‍हें निकाल चुकी है और वह सरकार से समर्थन वापस ले चुके हैं। (पढें- बिन्‍नी का पूरा प्रोफाइल)
रामबीर शौकीन: निर्दलीय शौकीन ने सरकार को समर्थन देना बंद कर दिया है, इसलिए वह बिल के खिलाफ ही वोट करेंगे।
भाजपा के 32 विधायक: मतदान से गैरहाजिर रह सकते हैं। 

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