कैथल. एनआरआई ने शादी तो सवा रुपए में की ही है, उसकी सगाई के
दौरान शगुन की कहानी भी दिलचस्प है। सितंबर 2014 में माजरा गांव वासी
एनआरआई सतविंद्र सिंह इंडिया आए थे। इसी दौरान, रिश्तेदारों की मदद से सगाई
की बातचीत चली। दोनों परिवार लड़का-लड़की को देखने आए थे। परिवार के
सदस्यों ने लड़के और लड़की को एक-दूसरे को दिखा दिया। जब लड़के ने लड़की को
पसंद कर लिया तो दोनों ही परिवारों ने सगाई की रस्म अदा की।
सगाई के दौरान गुरुद्वारा में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हजूरी में
लड़के-लड़की ने माथा टेका। इसी दौरान, जब लड़की वाले 21 से 51 हजार रुपए
लड़के को शगुन में देने की तैयारी कर रहे थे तो एनआरआई सतविंद्र सिंह और
उसके पिता अजीत सिंह ने कहा कि वे सगाई में सवा रुपए के शगुन की रस्म अदा
करें।
इस दौरान परिवार के सदस्यों को एक रुपया तो आसानी से मिल गया लेकिन
चव्वनी नहीं मिली। जब लड़की के परिजनों ने कहा कि चव्वनी नहीं मिल रही तो
इस पर सतविंद्र सिंह ने कहा कि शगुन में वे सवा रुपए ही लेंगे। लड़की के
पिता लखविंद्र सिंह ने बताया कि वे चव्वनी ढूंढने के लिए बाजार की दुकानों
पर घूमते रहे। एक घंटे के बाद उन्हें बड़ी मुश्किल से चव्वनी मिली।
शादी के जश्न की सभी तैयारियां पूरी थी। एनआरआई की बारात आई। ढोल, बैंडबाजे
पर डांस हुआ। वर और वधू पक्ष के परिवारों में गले मिलने की रस्म हुई।
लेकिन इस दौरान सोने के गहने डालने की रस्म नहीं हुई और न ही शादी में दहेज
के सामान की कोई लिस्ट दी गई। लड़की के पिता ने शगुन में सवा रुपए देकर
रस्में पूरी की। दोनों परिवारों के मौजूद सदस्यों ने एक-दूसरे को फूल
मालाएं देकर स्वागत किया।
लड़की के पिता ने लड़के के हाथ पर सवा रुपए शगुन के तौर पर रखे और
सर्बजीत को शगुन की चुन्नी ओढ़ाई गई। इस दौरान लड़के के परिवार ने न तो
सोने के गहने लिए और न ही परिवार और रिश्तेदारों को शगुन के तौर पर दिए
जाने वाले 1100 रुपए लिए। लड़के के पिता अजीत सिंह ने लड़की वालों को कहा
कि वे शादी भी सवा रुपए में ही करेंगे। इसके लिए उन्हें दहेज का सामान या
कीमती गाड़ी खरीदने की जरूरत नहीं। एनआरआई की सवा रुपए वाली शादी को देखने वाले हर व्यक्ति ने तालियां बजाई और
एक नई रस्म की शुरुआत के गवाह बने। गुरुद्वारा में श्री गुरू ग्रंथ साहिब
की हजूरी में फेरे हुए और दूल्हा सतविंदर सिंह और दुल्हन सर्बजीत कौर शादी
के बंधन में बंध गए। कक्योर माजरा गांव के रहने वाले एनआरआई अजीत सिंह बेटे
की बारात रविवार को जगदीशपुरा गांव में लेकर आए थे। यहां लखविंदर सिंह की
पुत्री सर्बजीत कौर से उसका विवाह हुआ। शादी में कार और लाखों रुपए का दान
दहेज लेने की बजाए सवा रुपए में रस्में पूरी की गई। गांव के लोगों ने बारात
का जोरदार स्वागत किया।
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