सरकार से मदद नहीं मिल पाई तो खुद ही भिड़ गए तालाब बनाने और 3 साल से लगातार अकेले इस उम्मीद के साथ मिट्टी खोद रहा है कि जिस दिन तालाब बन जाएगा ग्रामीणों के अलावा मवेशियों की भी प्यास बुझेगी। ग्राम पंचायत बडग़ांव का आश्रित ग्राम नेडग़ांव में 80 साल के सियाराम उयके लगातार 3 साल से तालाब बनाने मे जुटे हुए हैं।
कसम खा रखी है कि जब तक जिंदा हैं तालाब बनाकर ही दम लेंगे। रोज सबेरे गैंती फावड़ा लेकर तालाब बनाने पहुंच जाते हैं और दिनभर पसीना बहाने के बाद शाम को ही वापस लौटते हैं। सियाराम गरीब तो है परंतु दुर्भाग्य से गरीबी रेखा में नाम नहीं होने से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। सियाराम के पांच लड़के, चार लड़कियां और बीस नाती हैं। सब मना करते हैं लेकिन अपनी धुन के पक्के सियाराम ना तो किसी की मदद लेते हैं और ना ही किसी का सहयोग।
बस जिद की तालाब बनाकर ही दम लूंगा। गांव के पटेल राजेंद्र कहते हैं कि अस्सी साल की उम्र में तालाब बनाने का जुनून देखकर हैरानी होती है। सियाराम के बड़े बेटे रैयजी की उम्र 50साल है। घर मे नाती बहुएं सभी है परंतु सियाराम के जिद के आगे किसी की नहीं चलती। नाहगीदा गांव के सालिक राम नेताम ने कहा इस उम्र मे बुजुर्ग आदमी को इतना काम करते देख नौजवानों को सीख लेनी चाहिए।
डबरी बनाने किया जाएगा प्रयास
सियाराम उयके ने डबरी बनाने आवेदन दिया था, परंतु 2002 की सर्वे सूची में नाम नहीं होने से पात्रता नहीं है। अभी वृद्घावस्था पेंशन प्रकरण बनाया जा रहा है। साथ ही अधिकारियों से बात कर डबरी स्वीकृत कराने प्रयास किया जाएगा। बसंती नेताम, सरपंच, ग्राम पंचायत बडग़ांव
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