नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल
ने शनिवार करीब 12 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही जनता से किए
18 वादों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए। मुख्यमंत्री बनने के
कुछ घंटे के भीतर तीन अहम कदम उठाकर उन्होंने कांग्रेस और भाजपा को संकेत
दे दिया कि वह हाथ पर हाथ रखकर बैठने वाले नहीं हैं। केजरीवाल ने शनिवार
शाम पत्रकारों से कहा कि पानी पर स्थिति सोमवार तक साफ हो जाएगी, जबकि
बिजली सस्ती करने के मुद्दे पर भी एक या दो दिन में वह कोई फैसला ले
लेंगे।
केजरीवाल ने रामलीला मैदान में शपथ लेने के साथ ही अपने इरादे जाहिर करते हुए अहम घोषणा की। उन्होंने अपने भाषण में कहा- कोई रिश्वत मांगे तो मना मत करो,
उससे सेटिंग कर लो और हमें बताओ। हम उन्हें रंगे हाथ पकड़ेंगे। उन्होंने
कहा कि वह दो दिन में एक नंबर जारी करेंगे, जिस पर रिश्वत मांगने वालों
के बारे में लोग शिकायत कर सकेंगे। रामलीला मैदान से केजरीवाल राजघाट
पहुंचे और वहां से सीधे सचिवालय जाकर मंत्रियों के विभाग बांटे। विभाग
बांटने के बाद केजरीवाल मीडिया के सामने आए और फिर उन्होंने दो बजे
कैबिनेट की बैठक बुलाई। केजरीवाल की कैबिनेट की पहली बैठक में जो पहला
फैसला लिया गया वह उनके घोषणा पत्र का अहम हिस्सा है।
केजरीवाल की कैबिनेट ने फैसला लिया कि अधिकारियों को सुरक्षा नहीं दी
जाएगी। ऐसा तभी संभव होगा, जब किसी को जान का खतरा होगा। इसके अलावा एक अहम
फैसला यह भी लिया गया कि कोई भी मंत्री लाल बत्ती गाड़ी और वीआईपी सुरक्षा
नहीं लेगा। केजरीवाल ने चुनाव प्रचार में सरकारी खर्च में कटौती का वादा
किया था और सीएम बनते ही उन्होंने इस ओर कदम बढ़ा दिया। खुद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री
को मिलने वाला बंगला लेने से इनकार कर दिया है। उनके लिए सत्य मार्ग,
राजनिवास मार्ग और गोल मार्केट में फ्लैट देखा जा रहा है। केजरीवाल रविवार
को फ्लैट देखने के लिए जाएंगे।
पूरे दिन करते रहे बैठकें
केजरीवाल शनिवार को बिजली विभाग और जल बोर्ड के अधिकारियों से मिले।
इसके अलावा दिल्ली पुलिस के कमिश्नर भी उनसे मिलने के लिए विधानसभा
पहुंचे। केजरीवाल जानते हैं कि उनके पास दिल्ली की जनता से किए गए वादे
पूरे करने के लिए वक्त कम है, इसलिए उन्होंने सबसे पहले मंत्रियों के बीच
विभाग बांटने का काम किया। केजरीवाल ने शनिवार रात को क्नॉट प्लेस स्थित
पार्टी दफ्तर में रुकने की बात कही। आपको बता दें कि केजरीवाल
मुख्यमंत्री बनने से पहले ही वह एक्शन में आ गए थे और जनता दरबार लगा कर
लोगों की समस्याएं सुन-जान रहे थे। साथ ही, अफसरों को निर्देश भी देने लगे
थे।
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