नई दिल्ली. अरविंद
केजरीवाल ने ईमानदार पॉलिटिक्स करने वालों से नया फ्रंट बनाने की अपील की
है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब लोग राजनीति में ईमानदारी देख रहे
हैं। उन्होंने कहा- हमारे देश में राजनेता भ्रष्ट है, राजनीति नहीं।
उन्होंने दिल्ली स्पष्ट कहा कि आप फिर से चुनाव के लिए तैयार है।
पार्टी ने तो किसी को सपोर्ट करेगी और न ही किसी का सपोर्ट लेगी। केजरीवाल
ने अन्ना हजारे से समर्थन की अपील भी है।
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यानी 'आप' को मिली सफलता को कांग्रेस के खिलाफ दिल्लीवालों के आक्रोश के
तौर पर देखा जा रहा है। खुद आम आदमी पार्टी के नेता भी मान रहे हैं कि
भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी मुहिम के चलते और महंगाई, भ्रष्टाचार जैसे
मुद्दों को लेकर कांग्रेस से जनता आजिज आ चुकी थी, जिसका उन्हें लाभ मिला। 'आप' को इन मुद्दों से फायदा तो मिला, लेकिन वह बहुमत हासिल नहीं कर सकी।
'आप'
का कहना है कि वह किसी की मदद से सरकार नहीं बनाएगी। इसके बजाय दोबारा
चुनाव लड़ना पसंद करेगी। एक बड़ा वर्ग यह मानने लगा है कि अगर दोबारा चुनाव
हुए तो 'आप' को पूर्ण बहुमत मिलने की संभावना बहुत ज्यादा है, लेकिन सबसे
बड़ी समस्या यह है कि 'आप' के पास कोई गवर्नेंस मॉडल नहीं है। वह किस तरह
से विकास के एजेंडे को बढ़ाएंगे। सिर्फ भष्टाचार विरोधी मुहिम के दम पर
सरकार चलाना मुश्किल है। केजरीवाल ने आज तक गवर्नेंस के मॉडल को लेकर अपना
विजन सामने नहीं रखा है। उनकी राजनीति अभी तक विरोध के दम पर चल रही है,
लेकिन सत्ता में आने के बाद 'विरोध' के हथियार से काम नहीं चलने वाला है।
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) का 28 सीटों पर जीतना इन चुनावों
में सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात रही। परिणाम से पहले आए एग्जिट पोल में भी
आप के कुछ सीटें जीतने की बात कही गई थी, लेकिन आप दिल्ली में 40 पर्सेंट
सीटों पर जीत हासिल करेगी, इसका किसी ने भी अनुमान नहीं लगाया था। इसी
चुनाव में एक और सबसे बड़ी बात शीला दीक्षित
का चुनाव हारना भी रही। दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला
दीक्षित को आप के संस्थापक अरविंद केजरीवाल के हाथों 25 हजार से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
आप को दिल्ली चुनाव में पहली बार में ही यह जीत
यूं ही हासिल नहीं हुई है। इस चुनाव में दिल्ली में दूसरी सबसे बड़ी
पार्टी बनकर उभरी आप ने इसके लिए लोगों के बीच न केवल अपनी पहुंच बनाई,
बल्कि बहुमत में आने पर स्वच्छ छवि वाली सरकार देने का भी आश्वासन दिया।
इन सबके बीच अरविंद केजरीवाल एक हीरो बनकर उभरे। अरविंद केजरीवाल ने अपनी
नौकरी छोड़ देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का संकल्प लिया और समाजसेवी
अन्ना हजारे के नेतृत्व में यूपीए सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)