नई दिल्ली. चार राज्यों में मिली कांग्रेस का सूपड़ा-साफ
होने के बाद सोमवार को सोनिया गांधी के घर पर हुई बैठक में आत्ममंथन के
दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने माना कि आम आदमी पार्टी को हल्के में
लेना, उन्हें भारी पड़ गया। दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने
कहा कि पार्टी को राहुल गांधी को पीएम कैंडिडेट के तौर पर पेश कर देना
चाहिए। उन्होंने कहा कि इस काम में देरी करना अब ठीक नहीं है। इससे पहले
दिल्ली की सत्ता पर 15 साल तक राज करने वाली शीला दीक्षित ने हार का ठीकरा गुटबाजी पर फोड़ा। उन्होंने कहा- चुनाव में मुझे कांग्रेस पार्टी का सपोर्ट नहीं मिला।
कांग्रेस पार्टी और दिल्ली की कांग्रेस सरकार अलग-अलग
रास्तों पर चल रहे थे। मुझे लगता है कि यही सबसे बड़ी समस्या रही। इतना
ही नहीं, पार्टी लाइन से हटकर शीला ने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार बनाने
के लिए 'आप' को समर्थन नहीं देगी। आपको बता दें कि कांग्रेस प्रवक्ता
जयंती नटराजन से रविवार शाम को यही सवाल पूछा गया था, लेकिन शीला ने जो
बातें कहीं हैं, उन्हें जयंती नटराजन ने खारिज कर दिया था।
विधानसभा चुनावों में भाजपा ने पूरा दम दिखाया। राजस्थान और मध्यप्रदेश में तीन चौथाई जबकि छत्तीसगढ़ में बहुमत पार का आंकड़ा हासिल कर लिया, लेकिन दिल्ली सिर्फ चार कदम दूर रह गई। 28 सीट हासिल कर आम आदमी पार्टी (आप) ने
भगवा रथ रोक दिया। नहीं तो बीजेपी की जीत 4-0 से पक्की थी। राजस्थान में
भाजपा को तीन चौथाई बहुमत मिला। छत्तीसगढ़ में भाजपा बरकरार रही और रमन की
हैट्रिक लगी। मध्यप्रदेश में भाजपा ने एकतरफा जीत दर्ज की। इन चारों
राज्यों में कांग्रेस की पराजय हुई है।
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