कभी जो
मेरी ख्वाहिश
मेरी बात सुनकर
खिलखिलाते थे
आज देख लो मंज़र
अजीब है
वही कहते है मुझसे झुंझलाकर
तुम्हारे ख्याल
तुम्हारी बातों से
मुझे दुःख होता है ........................अख्तर
मेरी ख्वाहिश
मेरी बात सुनकर
खिलखिलाते थे
आज देख लो मंज़र
अजीब है
वही कहते है मुझसे झुंझलाकर
तुम्हारे ख्याल
तुम्हारी बातों से
मुझे दुःख होता है ........................अख्तर
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