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06 दिसंबर 2013

लेकिन ज़रा सोचो इन हालातों में दूसरी महिला उत्पीड़ित होती है

मेरे दोस्तों ..मेरे भाइयों ...मेरी बहनो ...हाल ही में पूर्व जस्टिस गांगुली ..तेजपाल सहित कई दर्जन ऐसे मामले आये है जिसमे महिला उत्पीड़न का मामला साबित है ...जो भी लोग महिलाओं को उत्पीड़ित करते है उन्हें सज़ा मिलना ही चाहिए ...लेकिन ज़रा सोचो इन हालातों में दूसरी महिला उत्पीड़ित होती है ....जी हाँ दोस्तों यह सही है के कोई महिला दस साल ...बीस साल ...तीस साल बाद भी अगर आकर कहे के इस व्यक्ति ने इतने दिन पहले मेरे साथ व्यभिचार क्या था ....तो उसका जेल में जाना  निश्चित है ..लेकिन उसकी पत्नी ..उसकी माँ ..उसकी बेटी ..उसकी बहन भी एक महिला होती है जिसके दिल पर उस वक़त इतने वक़त पुराने मामले की शिकायत अजीब सी दुखकाड घटना लगती है ...समाज में इन दिनों महिलाओं में जागृति है ..थाने है ..अदालतें है ..महिला संगठन है ..महिला जागृति है ऐसे में अब इन क़ानूनों में थोडा बहुत तो संशोधन होना चाहिए ..और व्यभिचार ..छेड़छाड़ के मामले में परिभाषा क्या हो .....समयसीमा कितने दिन ..कितने महीने ..कितने साल की हो ..सहमति किसे माना जाए ..कई दशक तक चुप्पी साध कर अचानक शिकायत करने वाली महिला की  शिकायत को कितनी तरजीह दी जाए ....जेसे मामलों में देह कि प्रमुख महिलाओं का एक पेनल बनाकर पुख्ता क़ानून ऐसा बनाना आवश्यक हो गया है जिसमे संभ्रांत महिलाये अत्याचार ..व्यभिचार ..शोषण ..ज़ोरजबरदस्ती से बच सके ..लेकिन पुरुष वर्ग भी किसी भी प्रकार की ब्लेकमेलिंग ..वर्षो पुरानी घटना के मामले में उसके विरुद्ध आरोप होने अपर भी एक तरफा कार्यवाही से उन्हें बचाने के लिए क़ानून बनना ज़रूरी है ज़रूरत पढ़े तो कुछ विशिष्ठ मामलों में महिलाओं को भी चिन्हित कर उन्हें भी पुख्ता तहक़ीक़ात के बाद दंडित करने का क़ानून बने ....पुरुष दोषी है या फिर पुरुष को दोषी बनाया गया है ........महिला कई वर्षो बाद उसके उत्पीड़न कि घटना क्यूँ बताती है ..यह सब बातें तय होना चाहिए ...........क्योंकि जहां एक हाथ से ताली बजाने की कोशिश कर पुरुष ज्यादती करता है उसे तो मृत्युदंड मिलना ही चाहिए लेकिन जहां दोनों हाथों से ताली बजती रहतीहै और एक पढ़ाव पर जाकर किसी ब्लेकमेलिंग की  गरज़ से कई वर्षों बाद शिकायत होती है तो फिर तो पुख्ता बिंदुवार तहक़ीक़ात के बाद ही कार्यवाही होने का क़ानून होना चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों में महिला शिकायत करता होती है वोह अबला भी है सम्मानीय भी है लेकिन ऐसी अबला की  वजह से दूसरी अबलायें जिनमे अपराधी बनाये गए पुरुष की पत्नी ...माँ ..बहन ..बेटियां होती है वोह भी प्रताड़ित होती है तो मेरे दोस्तों मेरी बहनों एक मर्यादित समाज जिसमे बिना किसी ब्लेकमेलिंग के दोषी व्यक्ति को दंड मिले और महिलाओं के साथ न्याय हो इसके लिए पुख्ता संशोधित क़ानून अगर देश कि महिलाओं से बनवाकर लागू क्या जाए तो आपकी क्या राय है बताइये ज़रूर प्लीज़ ..................क्योंकि अब फारुख अब्दुल्ला हो चाहे नरेश अगवाल हो वोह महिलाओं के लिए उलजलूल बात कर नफरत का भाव पैदा कर रहे है छुआछूत का भाव पैदा कर रहे है और इससे समाज कि मानसिकता पर तो असर पढ़ ही रहा है ...सो प्लीज़ बताइये ज़रूर अपने विचार अपने सुझाव ..जो भी हो लिखे भी और महिला आयोग ..सुप्रीमकोर्ट ..राष्ट्रपति ..संसद ..में लिखे ज़रूर ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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