ज़िंदगी के सफर को
लफ्ज़ों में पिरोया है
अपने हर अलफ़ाज़ को
दर्द में क्या है सराबोर
तड़पन ..सिसकियों में डुबोया है
प्लीज़
आज वाह वाह न करना
क्योंकि
यह कमबख्त दिल
फिर से
उसी
ज़ालिम की याद में रोया है ..............अख्तर
लफ्ज़ों में पिरोया है
अपने हर अलफ़ाज़ को
दर्द में क्या है सराबोर
तड़पन ..सिसकियों में डुबोया है
प्लीज़
आज वाह वाह न करना
क्योंकि
यह कमबख्त दिल
फिर से
उसी
ज़ालिम की याद में रोया है ..............अख्तर
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