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04 दिसंबर 2013

एक्जिट पोल : राजस्थान, एमपी, छग में भाजपा की जय-जय!



एक्जिट पोल : राजस्थान, एमपी, छग में भाजपा की जय-जय!
Jaipur, Thu Dec 05 2013, 12:00 AM

जयपुर। दिल्ली में वोटिंग पूरी होते ही देश भर में परिणामों के अनुमान की बाढ़ आ गई। पांचों राज्यों में किसकी सरकार बनेगी इसके कयास चर्चाओं में ही साफ हो गए। सभी समाचार चैनलों और खबरची संस्थानों ने अपने-अपने एक्जिट पोल जारी कर दिए। इनमें मध्यप्रदेश और छत्तीसढ़ में जहां भाजपा अपनी सरकार को बचाने में कामयाब दिखी तो राजस्थान में कांग्रेस सरकार का तख्ता पलटते हुए भाजपा ने अपनी सरकार बना ली।

कांग्रेस के लिए राहत भरी सूचना केवल मिजोरम से आई, जहां कांग्रेस अपनी सरकार बचाने में कामयाब लग रही है। वहीं राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने दोनों प्रमुख राजनीति दलों की गणित बिगाड़ दी। यहां किसी दल को एक्जिट पोल में स्पष्ट बहुमत नहीं मिला।

इंडिया टीवी

राजस्थान: भाजपा-130, कांग्रेस-48, अन्य-21
छत्तीसगढ़: भाजपा 44, कांग्रेस 41, अन्य 5
मध्यप्रदेश: भाजपा 143, कांग्रेस 71, अन्य 16
दिल्ली: भाजपा 32, कांग्रेस 18, आप 18, अन्य 2
मिजोरम: कांग्रेस 19, एमएनएफ 14, अन्य 7

आज तक

राजस्थान: भाजपा 110, कांग्रेस 62, अन्य 28
छत्तीसगढ़: भाजपा 53, कांग्रेस 33, अन्य 4
मध्यप्रदेश: भाजपा 138, कांगे्रस 80, अन्य 12
दिल्ली: भाजपा 41, कांग्रेस 20, आप 6, अन्य 3

एबीपी न्यूज

मध्यप्रदेश: भाजपा 138, कांग्रेस 80, अन्य 6, बसपा 6
दिल्ली: भाजपा 37, कांग्रेस 16, कांग्रेस 15, अन्य 2

एनडीटीवी इंडिया

राजस्थान : कांग्रेस 55, भाजपा 125
दिल्ली : भाजपा 34, कांग्रेस 17, आाप 17
मध्यप्रदेश : भाजपा 141, कांगे्रस 77
छत्तीसगढ़ : भाजपा 52, कांग्रेस 35

आईबीएन लाइव

राजस्थान : कांग्रेस 49-57, भाजपा 126-136
मध्य प्रदेश : भाजपा 136-146, कांग्रेस 67-77
छत्तीसगढ़ : कांग्रेस 32-40, भाजपा 45-55
दिल्ली :

सबकी निगाहें मतगणना पर

अब सबकी निगाहें 8 और 9 दिसम्बर को होने वाली मतगणना पर टिक गई हैं। इसके बाद साफ हो जाएगा कि किस राज्य में किस दल की सरकार बनेगी, क्योंकि जनता ने तो अपनी पसंद के उम्मीदवार और दल का भाग्य ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है।

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की मतगणना जहां 8 दिसम्बर को होगी, वहीं मिजोरम में मतों की गणना 9 दिसम्बर को होगी। हालांकि पूरे देश में इस बार कई तरह के मुद्दे और फेक्टर हावी रहे।

कांग्रेस ने जहां केन्द्र की योजनाओं और विकास को लेकर जनता को लुभाने का काम किया। वहीं भाजपा ने अपने पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के दम पर कमल को खिलाने के लिए जोर लगाया।

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में भाजपा की मौजूदा सरकारों ने अपने विकास के कार्यो को गिनाया तो राजस्थान दिल्ली में कांग्रेस ने वापसी के लिए अपना जोर लगाया। मिजोरम में भी कांग्रेस की सरकार है लेकिन वहां का माहौल देश को ज्यादा प्रभावित नहीं कर सका।

मोदी के दम पर उतरी भाजपा

पांच राज्यों में चुनाव के शंखनाद से कुछ समय पूर्व ही गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाजपा ने अपनी कमान सौंपी। अब तक एक राज्य गुजरात तक ही सीमित रहे मोदी का जलवा कुछ ही महीनों में ऎसा चला कि वे पार्टी के एकमात्र सशक्त चेहरे बन गए। पार्टी में लालकृष्ण आडवानी, सुषमा स्वराज, मुरलीमनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, यशवंत सिंहा, जसवंत सिंह, अरूण जेटली, नितिन गडकरी जैसे वरिष्ठ नेताओं के होने के बावजूद पार्टी और कार्यकर्ताओं के बीच मोदी की लहर चली।

मोदी ने भी इस अवसर को जमकर भुनाया और चारों राज्यों (मिजोरम को छोड़कर) में इतनी सभाएं कीं कि वहां का माहौल ही बदल दिया। टीवी, मीडिया से लेकर लोगों की जुबां पर मोदी के नाम की चर्चा गूंजने लगी। सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में देखे जा रहे इस चुनाव में यदि भाजपा के पक्ष में कुछ बड़ा परिणाम आया तो इसका सीधा क्रेडिट मोदी के खाते में जाएगा।

कांग्रेस का जोर मोदी को चुनौती देने पर निकला

कांग्रेस की बात करें तो पांच राज्यों के चुनावों में उन्होंने मोदी के सवालों के जवाब, नए सवाल खड़े करने और उनकी आलोचना करने में ज्यादा पसीना बहाया। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो कांग्रेस के पास मोदी को काउंटर करने के लिए कोई चेहरा ही नहीं था। दिग्विजय सिंह, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, भीम अफजल जैसे पार्टी के नेता केवल बयानबाजी तक सीमित रहे। वहीं छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के साथ दिल्ली और मिजोरम में भी कांग्रेस के बड़े नेताओं ने वो दम नहीं दिखाया जो मोदी अकेले लेकर चल रहे थे।

भ्रष्टाचार और महंगाई रहा बड़ा मुद्दा

पांचों राज्यों में इस बार मतदान का प्रतिशत काफी अच्छा रहा। मतदाताओं ने अपनी सरकार को चुनने के लिए पूरे उत्साह के साथ मतदान किया। चुनाव के पहले और बाद में आई मतदाताओं की प्रतिक्रियाओं में भ्रष्टाचार और महंगाई का रोष साफ तौर पर निकल कर आया। भले ही चुनाव राज्यों में हुए लेकिन केन्द्र में घटी घटनाओं का असर साफतौर पर वोटर्स में दिखा। अपने अधिकारों और कर्तव्य के प्रति जागरूकता का प्रतिशत बढ़ने का भी सीधा असर लोगों में दिखा।

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