नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने प्रचार अभियान की
रूपरेखा मंगलवार को तय कर दी। पार्टी पिछले चुनाव में कांग्रेस के खाते में
गई 206 सीटों पर खास फोकस करेगी। इन सीटों में ज्यादातर पर भाजपा दूसरे
नंबर पर रही थी। पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने
यह फॉर्मूला दिया है।
पार्टी इस बार मोदी के नाम से ही अभियान चलाएगी। इसे ‘मोदी फॉर पीएम’
नाम दिया गया है। पार्टी कार्यकर्ता ‘वन वोट-वन नोट’ अभियान भी चलाएंगे।
जनता से 10 से लेकर एक हजार रुपए तक चंदा मांगेंगे। इस अभियान की रूपरेखा
को अंतिम रूप देने के लिए नई दिल्ली में मंगलवार को भाजपा की अहम बैठक
हुई।
बैठक में संसदीय बोर्ड के सदस्य और पार्टी शासित पांच राज्यों के
मुख्यमंत्री शामिल थे। इसके बाद भाजपा महासचिव अनंत कुमार ने कहा कि यह
अभियान वैसा ही होगा जैसा 1977 में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चलाया
गया था। तब केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ संपूर्ण क्रांति का नारा
देते हुए अभियान चला था।
जीत के लिए मोदी का फॉर्मूला
मोदी ने पार्टी के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय पदाधिकारियों और प्रदेश
अध्यक्षों को जीत के लिए फॉर्मूला बताया। कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में
कांग्रेस को 206 और भाजपा 116 सीटें मिली थीं। कांग्रेस जिन सीटों पर जीती
थी, उनमें अधिकतर भाजपा नंबर-दो थी। ऐसी सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में मतों
का अंतर सिर्फ 89 लाख था। बीते पांच साल में ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में 12
लाख नए मतदाता जुड़े हैं। केंद्र में कांग्रेस के 10 साल के शासन के खिलाफ
भाजपा ‘चार्जशीट’ लाएगी। पार्टी ने खुद के दम पर 272 लोकसभा सीटें जीतने
का लक्ष्य रखा है। देशभर की 400 लोकसभा सीटों पर पार्टी अपने उम्मीदवार
चुनने से पहले सभाएं करेगी।
‘आप’ से मुकाबले के लिए मोदी की रणनीति
दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) ने जनता से ही
चंदा मांगा था। इस तरह उसने आम वोटरों को अपने अभियान का हिस्सा बनाने की
कोशिश की। भाजपा का ‘वन वोट-वन नोट’ अभियान भी इसी तर्ज पर चलाया जाएगा।
इसे मोदी की बनाई रणनीति माना जा रहा है। इसके तहत भाजपा कार्यकर्ता 10
करोड़ परिवारों तक पहुंचेंगे।
शिवसेना ने ली चुटकी
मोदी ने रविवार को एक रैली में कहा था कि महाराष्ट्र में अब तक 26
मुख्यमंत्री हुए। लेकिन गुजरात के मुकाबले विकास कम हुआ। इस पर शिवसेना
अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पार्टी मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि मोदी अब पूरे
देश के नेता बन गए हैं। वे महाराष्ट्र की फिक्र करना छोड़ दें।
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