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12 नवंबर 2013

शहंशाह बनकर जेल का मजा लेना चाहते थे आसाराम, भक्‍तों के सामने खुल कर जताई थी ख्‍वाहिश



नई दिल्‍ली. बलात्‍कार के आरोप में इन दिनों जोधपुर जेल में बंद विवादित कथावाचक आसाराम की तिहाड़ जेल जाने की दिली इच्‍छा थी। आसाराम ने एक प्रवचन के दौरान अपने भक्‍तों के सामने ऐसी ख्‍वाहिश जताई थी। इसमें आसाराम ने एक शहंशाह की तरह तिहाड़ जेल में कुछ दिन बिताने की इच्‍छा जाहिर की थी। आसाराम ने शेखी बघारने के अंदाज में सरकार पर उन्‍हें जेल भेजने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया था। इस प्रवचन का वीडियो इन दिनों लोगों के बीच खूब शेयर किया जा रहा है।  
वीडियो के मुताबिक आसाराम कहते हैं कि उन्‍होंने जेल जाने का संकल्‍प किया है और भगवान उनका संकल्‍प देर-सबेर जरूर पूरा करेंगे। आसाराम कहते हैं, 'मुझे तिहाड़ जेल में जाने का संकल्‍प हो रहा है। सच बोल रहा हूं। क्‍या पता किस निमित्‍त जाऊंगा। ऐसे ही जाऊं नहीं तो सरकार महीने-दो महीने में ऐसी कोई योजना कर दे कि तिहाड़ में रहने दे।'
आसाराम यह भी दावा करते हैं कि अगर वो तिहाड़ गए तो पूरी जेल को बदल देंगे। वीडियो में आसाराम प्रवचन के दौरान भक्‍तों से कहते हैं, 'जरा पता करना कि दिल्‍ली में तिहाड़ के कैदियों के लिए दो-पांच दिन...दिल्‍ली वाले भी सुन रहे होंगे।' तभी भक्‍तों की तरफ से एक स्‍वर में आवाज आती है 'नहीं...' तो आसाराम पूछते हैं 'तिहाड़ नहीं जाऊं, तो साबरमती में?' इस बीच, भक्‍तों की बात सुनकर वह कुछ देर के लिए रुकते हैं। भक्‍तों की तरफ से आवाज आती है 'नहीं..नहीं'। इस पर आसाराम अपने भक्‍तों से पूछते हैं, 'साबरमती में जाऊं? मेरा मन कर रहा है जेल जाने का। नानक जी दो बार जाकर आए तो हम भी मजा ले लें (हंसते हुए)। मेरा भी मन कर रहा है जेल का मजा लेने का।' फिर आवाज आती है 'नहीं...', तो आसाराम पूछते हैं, 'अच्‍छा तो कहां, अमेरिका में...' इस बार भी आवाज आती है, 'नहीं...' 
तो आसाराम कहते हैं, 'कहीं नहीं? जेल में नहीं? अरे जेल में बंद लोगों को निकालना भी तो है..।'
आसाराम एक घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं कि वो दिल्‍ली स्थित तिहाड़ जेल का नजारा भी ले चुके हैं। वो कहते हैं, 'मैंने तिहाड़ के ऊपर से हेलीकॉप्‍टर भी घुमवाया है। मैंने देखा कि कैसा है तिहाड़ जेल। बाहर से तो चहारदीवारी है, लेकिन ऊपर से देखने पर कौन रोकेगा। मैंने पायलट को बोला जरा राउंड ले लेना। उसने कहा कि बापू यह तिहाड़ जेल है। मैंने कहा जरा ले जाना उधर। कभी तिहाड़ जाने का सोच रहा था, लेकिन कैसे जाऊं।'
भक्‍तों से मुखातिब आसाराम कहते हैं, 'अरे, कैदी की तरह नहीं जाऊंगा, शहंशाह की तरह जाऊंगा।' बापू के इतना कहते ही भक्‍तों की तरफ से तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती है। आसाराम आगे कहते हैं, 'गुनहगार होकर क्‍या जाना। गुनहगारों को बेगुनाह बनाने के लिए जेल जाऊंगा।'

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