आपका-अख्तर खान

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12 नवंबर 2013

दोस्तों इन चुनाव में समाज की एकजुटता का रोना खूब रोना गया है .

दोस्तों इन चुनाव में समाज की एकजुटता का रोना खूब रोना गया है .......मीणा ..गुर्जर ..जाट ..के लिए तो कहावत है के यह लोग अपना वोट और रिश्ता किसी पराये को नहीं देते है ...लेकिन दूसरे समाज बिखरे हुए है बटे हुए है ....अब इन समाजों से सीख लेकर मुस्लिम ...ब्राह्मण भी एक जुट होने की नाकाम कोशिशों में लगे है ..........मुसलमान एक जुट होने के लिए राजयभर में सम्मेलन करा चुका है लेकिन गोपालगढ़ हो ...सूरवाल फूलमोहम्मद हो ..स्वाद में क़ुरान कि बेहुरमती हो .टोंक में मस्जिद में घुसकर हत्या हो ..गोपालगढ़ हो ...सांगानेर हो ...वक़फ़ द्वारा मस्जिद बेचने का मामला हो .मदरसा बोर्ड में मुस्लिमों का हक़ गेर मुस्लिमों को देकर नियुक्ति देना का मामला हो ....फ़र्ज़ी मुक़दमों कि कहानी हो .पुलिस ज़ुल्म हो .....अल्पसंख्यक मंत्रालय के साथ खुला भेदभाव हो मुस्लिम कल्याण का  लगातार बिना उपयोग के वापस भेजने का मामला हो . सियासत में उपेक्षा का मामला हो ..टिकिटों में तिरस्कार और परसात पर्यन्त पदों पर नियुक्ति में केवल मुस्लिम कि नियुक्ति ही जहां मजबूरी हो उसके अलावा कही दूसरे पदो पर नियुक्त कि उपेक्षा हो सब कुछ जानकर भी मुसलमान सब्र के साथ मोदी का दर दिखाए जाने पर इस आधुनिक मोदी कि सरकार के समर्थन में है और कोंग्रेस से चिपका बेठा है ..इधर ब्राह्मण समाज भी सभी पार्टियों से उपेक्षा के कारण नाराज़ है ........हाल ही में कोटा में बैठक हुई नतीजा नहीं निकला एक जुट नहीं हो सके .............चर्चा दो लोगों में हो रही थी एक ब्राहम्ण था एक मुस्लिम मुस्लिम का कहना था के भाई हम मुसलमानो के पास कोंग्रेस या भाजपा में संगठन के मुख्य पद नहीं ..नगर विकास न्यास या फिर किसी बढ़े आयोग बढ़े बोर्ड के चेयरमेन पद नहीं ...ख़ास मंत्रालय नहीं अनुपात के आधार पर राजनितिक भागीदारी नहीं टिकिट नहीं पद नहीं .......बाईस प्रतिशत होने पर भी ऐसी सियासी उपेक्षा फिर भी हम कोंग्रेस के खिलाफ या कोंग्रेस में हमारे नेताओ द्वारा बनाये गए आकाओं के खिलाफ कोई कुछ कहता है तो अल्ला रसूल को भुलाकर आपस में लड़ने लगते है एक दूसरे के खून के प्यासे और सुन्नी ...जमाटी तब्लीगी में खुद को बांटने लगते है .लेकिन दूसरी तरफ आप है जिसका कोटा में कोंग्रेस का ज़िला अध्यक्ष ब्राह्मण ...भाजपा का ज़िला अध्यक्ष ब्राह्मण कई पूर्व मंत्री ...पूर्व महापौर ..ज़िलाप्रमुख ब्राह्मण ....पार्टी पदाधिकारी ब्राह्मण ..नगर विकास न्यास के अध्यक्ष पूर्व और वर्मान ब्राह्मण ...उप महापौर ब्राह्मण सर्वत्र ब्राह्मण है फिर भी असंतोष क्यूँ उनका कहना था के भाई आप लोग लकीर के फ़क़ीर हो सियासत नहीं समझते सिर्फ गुलामी ही गुलामी करते हो नेता को आँख नहीं दिखाते इसलिए तुम्हारा हाल है शासन करना हमे आता है इसलिए हम अपनी हिकमत से शासन कर रहे है और हमारी उपेक्षा हुई तो हम सियासत को जाम करने और पार्टियों को झुकाने कि हिम्मत रखे है हमने तो कोंग्रेस भाजपा के सभी ब्राह्मणों को एक मंच पर लाकर चिंतन मंथन कर लिया हिअ तुम्हारी कॉम में तो इतनी सलाहियत भी नहीं के दलगत सियासत कोंग्रेस भाजपा से ऊपर उठ कर समाज के बारे में गेर सियासी मंच पर एकत्रित होकर चिंतन मंथन कर सको ...बात का अंदाज़ कुछ भी रहा हो लेकिन बात दिल को छूने वाली थी ...मेने देखा तो कोंग्रेस हो या भाजपा वहाँ कोई मुसलमान सा नज़र नहीं आया सिर्फ गुलाम गुलाम गुलाम ही नज़र आये ..............अख्तर

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