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06 नवंबर 2013

कांग्रेस के मंत्री ने अपनी ही पार्टी को ठहराया राजीव गांधी की हत्‍या का जिम्‍मेदार!



नई दिल्ली. बुधवार का दिन कांग्रेस के लिए काफी उथल-पुथल भरा रहा। जम्‍मू में राहुल की सभा में हंगामा हो गया, तो कांग्रेस नेता राज बब्‍बर नरेंद्र मोदी की तुलना अजमल आमिर कसाब से किए जाने को लेकर विवादों में घिर गए।यूपीए सरकार के मंत्री जयराम रमेश द्वारा अपनी ही पार्टी कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी को 'ड्रामेबाज करार दिए जाने का मामला भी छाया रहा।
 
गृह राज्‍य मंत्री आर. पी. एन. सिंह ने तो गलतबयानी कर एक तरह से अपनी ही पार्टी कांग्रेस को राजीव गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया। सिंह ने मोदी की सुरक्षा बढ़ाए जाने की बीजेपी की मांग के जवाब में एक समाचार चैनल से कहा, 'मैं एनडीए को बता देना चाहता हूं कि जब वे सत्ता में थे, तब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सुरक्षा के लिए एक सब-इंस्पेक्टर भी नहीं दिया गया था। शायद इसीलिए उन्होंने अपनी जान गंवा दी।' हकीकत यह है कि राजीव गांधी की हत्या के वक्त चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे और कांग्रेस के समर्थन से सरकार चला रहे थे। 1991 में तमिलनाडु में एक रैली के दौरान राजीव गांधी की आत्मघाती बम हमले में हत्या कर दी गई थी। 
 
नरेंद्र मोदी की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस-भाजपा में खींचतान चलती रही। भाजपा ने जहां मोदी के लिए पीएम के बराबर सुरक्षा की मांग की, वहीं कांग्रेस सांसद राज बब्‍बर ने इस मांग के मद्देनजर मोदी की तुलना कसाब से कर डाली। बब्बर ने कहा कि इस देश में सुरक्षा सभी का हक है, उसमें कसाब भी आते हैं और मोदी भी आते हैं। विवाद बढ़ने पर उन्‍होंने सफाई दी, 'मैंने तुलना नहीं की, बल्कि उदाहरण दिया था।' इस बीच, गृह मंत्रालय ने मोदी की सुरक्षा को पर्याप्‍त बताया है और उन्‍हें एसपीजी सुरक्षा देने की जरूरत से इनकार कर दिया है। 
 
बयानबाजी से इतर, बुधवार को राहुल गांधी की जम्मू में हुई सभा में भी गड़बड़ हो गई। सभा में जोरदार हंगामा हुआ। पंचों, सरपंचों के एक सम्मेलन में जैसे ही राहुल ने अपना भाषण पूरा किया, हंगामा हो गया। परीक्षित सिंह नाम का सरपंच अपनी जगह से खड़ा हो गया और उसने हंगामा शुरू कर दिया। परीक्षित ने कहा कि वह तीन सालों से सरपंचों को ज्यादा अधिकार देने की बात कर रहा है। लेकिन उसकी बात राहुल गांधी तक नहीं पहुंचाई जाई रही है। नाराज सरपंच के सवालों का जवाब देने की कोशिश में राहुल गांधी ने कहा, 'अगर मुझे आपकी बात नहीं सुननी होती तो मैं यहां क्यों आता।' इस मुद्दे पर राहुल गांधी ने कहा कि वे सरपंचों के मुद्दे पर उमर अब्दुल्ला से बात करेंगे।

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