आपका-अख्तर खान

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22 अक्तूबर 2013

कहाँ हो तुम ऐ मेरे सुकून

कहाँ हो तुम
ऐ मेरे सुकून
ऐ मेरे चेन
खाना हो तुम
एम मेरे लोकतंत्र
ऐ मेरी स्वंतत्रता
कहाँ हो तुम
ऐ मेरे इन्साफ
ऐ मेरी इंसानियत
ऐ मेरी इमानदारी
कहा हो तुम
ऐ मेरे जोश
ऐ मेरे बुराई से लड़ने का आक्रोश
ऐ मेरे राम राज्य
ऐ मेरी धर्म परायणता
कहा हो तुम
ऐ मेरी निष्पक्षता
ऐ मेरे साहस
ऐ मेरी साफ़ गोई
ऐ मेरी निडरता
ऐ मेरी निर्भीकता
कहा हो तुम कहा हो तुम
बहुत हुआ
चपड चपड ना कर
में तेरे देश में
तेरे भारत महान में हूँ
तलाश कर बुराइयां नेतओं में
बुराइयां धर्मगुरुओं में है
तो कामचोरी
काहिली
नाकारापन
डर और खोफ
तुझ में है तुझ में है
तुझ में है .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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