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17 सितंबर 2013

कभी टिन बेचकर कमाते थे पांच पैसे, आज हैं पीएम पद के उम्मीदवार!



मोदी का 'मिशन दिल्ली' औपचारिक तौर पर शुरू हो गया है। बीजेपी ने 9 जून, 2013 (रविवार) को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव प्रचार समिति का अगुवा घोषित कर दिया गया था। हालांकि, पार्टी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के इस फैसले से खुश नहीं थे और उन्होंने पार्टी के सारे पदों से इस्तीफ़ा दे दिया था। बाद में आडवाणी को मना लिया। चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा के बाद मोदी पार्टी के 'नंबर एक' नेता बन गए।  
 
सितंबर में एक बार भाजपा में उस समय घमासान मच गया, जब नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने की कवायद तेज हो गई। इस समय आडवाणी के साथ-साथ पार्टी के और भी कई बड़े नेता मोदी के खिलाफ नजर आए। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने किसी की परवाह किए बगैर 13 सितंबर, 2013 को नरेन्द्र मोदी को भाजपा की ओर से पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया।  
 
राजनाथ सिंह के इस फैसले में बाद में आडवाणी को छोड़कर मोदी के अन्य विरोधी भी उनके समर्थन में दिखाई दिए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनावी समर में भाजपा की कमान संभालने जा रहे कभी टिन बेचकर पांच पैसे कमाने वाले नरेन्द्र मोदी के छोटे भाई ही उनके खिलाफ रहते हैं!
पूरा नाम:
 
17 सितंबर, 1950 को गुजरात के वडनगर में एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे मोदी का पूरा नाम है नरेन्द्र दामोदरदास मोदी।
मिलते थे पांच पैसे:
 
मोदी परिवार को सहारा देने के लिए अपने घर के आसपास से तेल के खाली टिन एकत्र कर पास की मिल में जमा कराते थे। बदले में हर टिन पर पांच पैसे मिलते थे।
मगरमच्छ का बच्चा ले आए:
 
मोदी के दोस्त भरत भाई बताते हैं कि मोदी बचपन में झील से मगरमच्छ का बच्चा घर ले आए थे। बाद में मां ने डांटते हुए कहा कि कोई तुझे भी इस तरह उठा ले जाए तो कैसा लगेगा। मोदी तुरंत झील पर लौटे और मगर के बच्चे को छोड़ आए। (
मोदी बनना चाहते थे साधु:
 
मोदी एक जमाने में साधु बनना चाहते थे। दो साल हिमालय की खाक भी छानी। पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम में भी रहे। एक दिन अचानक यह विचार छोड़ वे घर लौट आए।
खोलनी पड़ी चाय की दुकान:
 
घर चलाने के लिए मोदी को अहमदाबाद में स्टेट ट्रांसपोर्ट ऑफिस के बाहर चाय की दुकान तक खोलनी पड़ी। यहीं पर शाखा से लौटते संघ कार्यकर्ताओं से होने वाली मुलाकातों ने मोदी को बदल डाला। उन्होंने दुकान समेटी और संघ के साथ जुड़ गए।
20 साल की उम्र में संघ प्रचारक:
 
बचपन में ही स्‍कूल के बाद संघ की शाखाओं में नजर आने वाले मोदी 20 साल की उम्र में संघ प्रचारक बन गए थे।
आडवाणी के करीबी:
 
1975 में आपातकाल के दौरान नरेंद्र मोदी लालकृष्‍ण आडवाणी के नजदीक आए। आडवाणी ने उनकी संगठनात्‍मक क्षमता को पहचाना और 1985 में गुजरात बीजेपी में संगठन महामंत्री बनवाया।
रामरथ यात्रा:
 
जब राममंदिर आंदोलन परवान पर था तो मोदी ने आडवाणी को सोमनाथ मंदिर को प्रतीक बनाने का सुझाव दिया। उनके सुझाव का नतीजा 1990 में रामरथ यात्रा के रूप में सामने आया।
एकता यात्रा:
 
मुरली मनोहर जोशी की कन्‍याकुमारी से कश्‍मीर तक की एकता यात्रा में मोदी को फिर जिम्‍मेदारी सौंपी गई। जोशी की सभाओं में मोदी मेवाड़ी पाग पहने सबसे पीछे खड़े जनता की नब्‍ज समझने की कोशिश करते नजर आते थे।
बने राष्ट्रीय महासचिव, फिर मुख्यमंत्री:
 
1995 में मोदी को भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव बना दिया और पांच राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी। 2001 में केशुभाई के हटने के बाद भाजपा ने मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया।
पहली बार सीएम बनने पर सामने आईं मां:
 
पहली बार जब उन्‍होंने सीएम पद की शपथ ली तो मां हीरा बेन को भीड़ में बमुश्किल पहचाना गया। 2011 में 13वीं विधानसभा के चुनाव के बाद मोदी अपनी मां का आशीर्वाद लेते नजर आए।
भाई ही है खिलाफ:
 
मोदी पांच भाइयों में तीसरे नंबर पर हैं। उनके छोटे भाई प्रहलाद मोदी अहमदाबाद के ओधाव इलाके में दुकान चलाते हैं। वह कोटे के दुकानदारों के नेता हैं, जो सरकार के खिलाफ हमेशा तेवर दिखाते रहते हैं।
शादीशुदा हैं या अविवाहित!
 
यह आरोप लगाया जाता है कि मोदी शादीशुदा हैं, मगर पत्नी के साथ नहीं रहते।गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान विरोधियों की तरफ से यह बात बार-बार उठाई जाती है, लेकिन मोदी इसका न तो खंडन करते हैं और न ही पुष्टि।
 

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