जोधपुर. नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में घिरे आसाराम
की पैरवी कर रहे सीनियर वकील राम जेठमलानी ने मीडिया को पागल करार दिया है।
जेठमलानी का यह बयान कोर्ट में उनकी इस दलील को लेकर मचे बवाल की
प्रतिक्रिया में आया है, जिसमें उन्होंने आसाराम पर दुष्कर्म का आरोप
लगाने वाली लड़की को मर्दों के करीब जाने की 'गंभीर' बीमारी से ग्रस्त बता
दिया था।
हाईप्रोफाइल वकील राम जेठमलानी कोर्ट में दलीलों के माहिर माने जाते
हैं। लेकिन आसाराम को जमानत दिलाने के लिए सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट में
उनकी कोई दलील नहीं चली। जेठमलानी के तर्कों पर जज निर्मलजीत कौर ने यह कह
कर उन्हें चुप कर दिया कि वे मुकदमे की ट्रायल पर बहस कर रहे हैं या जमानत
अर्जी पर?
जेठमलानी ने कहा- पीडि़ता ने आरोप किसी के सिखाने पर लगाए। वह मानसिक
रोगी है। कुटिया में यौन उत्पीडऩ की बातें भी झूठी हैं। रामजेठमलानी ने
कोर्ट में यह भी कहा 'लड़की (पीड़िता) ऐसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है
जिसमें वह पुरुषों की ओर आकर्षित होती है। इसकी जांच कराई जानी चाहिेए'
जज ने कहा- आप जो कह रहे हैं, उनका आधार क्या है? पीडि़ता गलत आरोप लगा रही है तो बताएं कि किसके कहने पर और क्यों?
जेठमलानी ने कहा-लड़की बालिग है। पुलिस शाहजहांपुर की नगरपालिका क्यों
नहीं गई? वहां जाती तो उसके जन्म का रिकॉर्ड मिल जाता। स्कूल में भर्ती दो
साल बाद हुई थी।
जज ने कहा -स्कूल में भर्ती होने से पहले का रिकॉर्ड पता नहीं लगाया जाता, बोर्ड का प्रमाण पत्र ही माना जाता है।
फिर जज ने टोका। कहा-आप ट्रायल की तरह बहस कर रहे हैं, जबकि सुनवाई जमानत याचिका पर हो रही है। आप तो जमानत का आधार बताइए।
जेठमलानी ने कहा -परिजनों ने जाप व मंत्रोच्चार करने और आशीर्वाद देने
की जिद की थी, आश्रम में ऐसे साधक आते रहते हैं और आध्यात्मिक ध्यान करते
हैं। पीडि़ता व उसके परिजन भी अपनी मर्जी से मणई आए थे।
जज ने पूछा- आसाराम के आश्रमों में स्कूलों से लड़कियों को बुलाना क्या नॉर्मल प्रैक्टिस है?
इसके बाद जेठमलानी ने आसाराम के आध्यात्मिक गुरु होने, जांच में सहयोग
करने, गवाहों को प्रभावित न करने की दलीलें दी। तर्क सुनने के बाद जज ने
केस डायरी तलब की और कहा- अब सुनवाई 18 सितंबर को होगी।
आसाराम की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को जोधपुर
सेशन कोर्ट मे उनकी हिरासत 30 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी। यानी अब आसाराम
को 30 सितंबर तक जेल में ही रहना पड़ेगा। उधर राजस्थान हाईकोर्ट में
रामजेठमलानी ने उनकी पैरवी की लेकिन वे भी जमानत दिलाने में नाकामयाब रहे।
अब हाइकोर्ट में बुधवार को सुनवाई होनी है।
आसाराम की न्यायिक हिरासत की अवधि रविवार तक ही थी। इसलिए उन्हें
सोमवार को जोधपुर सेशंस कोर्ट में पेश किया गया। वहां आसाराम ने जज के
सामने हाथ जोड़ लिए। उन्होंने जज से बीमारी का हवाला देते हुए जमानत देने
की अपील की। लेकिन जज ने उनकी नहीं सुनी। कुछ ही मिनट की सुनवाई के बाद
उन्हें 30 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में रखने का हुक्म सुना
दिया।
दूसरे पक्ष के वकील ने कहा कि अगर आसाराम रिहा हुए तो वह जांच
प्रक्रिया को बाधित करेंगे। अब आसाराम को हाईकोर्ट से उम्मीद है जहां उनकी
जमानत अर्जी पर बुधवार को सुनवाई होनी है।
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