भारद्वाज को पुलिस समझाने के लिए अंदर ले गई, लेकिन मामला शांत नहीं हुआ और प्रदर्शनकारी अंदर आकर प्रदर्शन करने लगे।
जब पुलिस लक्ष्मीकांत को जबरन थाने ले जाने लगी तो कुछ प्रदर्शनकारी पीसीआर के आगे बैठ गए। पुलिस ने फिर से लोगों को खदेड़ दिया और लक्ष्मीकांत को मालवीय नगर थाने ले गई। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारी रोड जाम कर प्रदर्शन करने लगे। आधे घंटे के बाद लक्ष्मीकांत को थाने से लाया गया और एक प्रतिनिधिमंडल ने मण्डल के सचिव वेदप्रकाश को ज्ञापन सौंपकर ब्राह्मणों के बारे मे लिखे अपशब्दों के बारे में अवगत कराया।
एसीपी डॉ. तेजपाल सिंह ने बताया कि हम पुलिस जाब्ता लेकर यहां आए और प्रदर्शनकारियों को मंडल के बाहर रोका, लेकिन जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने गेट खोलने की कोशिश की तो हल्का बल प्रयोग कर काबू में किया। लक्ष्मीकांत ने बताया कि एनसीईआरटी में आठ साल से तथा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं की इतिहास की पुस्तक में एक साल से इन तथ्यों का उल्लेख है।
इन तथ्यों पर आपत्ति
ब्राह्मण कुछ लोगों को वर्ण व्यवस्था प्रणाली के बाहर मानते थे, समाज के कुछ लोगों को अस्पृश्य घोषित कर सामाजिक वैमनस्य को और अधिक बढ़ाया।
ब्राह्मणों का मानना था कि कुछ कर्म, खासतौर से वे जो अनुष्ठानों के संपादन से जुड़े थे, पुनीत और पवित्र थे, अपने को पवित्र मानने वाले लोग अस्पृश्यों से भोजन स्वीकार नहीं करते थे।
ब्राह्मणों का मानना था कि यह व्यवस्था जिसमें स्वयं उन्होंने पहला दर्जा प्राप्त है, दैवीय व्यवस्था है। शूद्रों और अस्पृश्यों को सबसे निचले स्तर पर रखा जाता था। इस व्यवस्था मे दर्जा संभवतया जन्म के अनुसार निर्धारित माना जाता था।
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