जयपुर। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने मुस्लिमों का नाम लिए
बिना कहा कि आरक्षण का नया कानून लाते समय ऐसे तबकों को हक मिलना चाहिए,
जिनके सारे लोग पिछड़े हुए हैं। भले ही देश में आरक्षण का आधार मजहब न हो,
लेकिन जब भी कोई कैबिनेट या सलेक्शन कमेटी बनाई जाती है तो पिछड़ों को
आरक्षण देने में कहीं न कहीं जाति व मजहब का ताल्लुक अवश्य रहता है।
वे रविवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में ‘सच्चर कमेटी रिपोर्ट के सात साल
बाद’ विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में
के. रहमान कमेटी की सिफारिश पर सभी मुस्लिमों को पिछड़ा मानते हुए आरक्षण
लागू किया। आंध्र प्रदेश में भी ऐसा ही हुआ, हालांकि मसला अभी सुप्रीम
कोर्ट में लंबित है। यूपी में भी आबादी के हिसाब से 14 मुस्लिम बिरादरियों
को आरक्षण का लाभ दिया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भारतीय मीडिया से दोनों देशों
के बीच रिश्ते सुधारने में मदद की गुजारिश पर सलमान खुर्शीद ने कहा कि यह
स्वागत योग्य है। हालांकि उन्होंने पुरानी चोटों पर मरहम लगाने की जरूरत
बताई। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री के. रहमान ने कहा कि अगले वर्ष से
प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप डिमांड के आधार पर आवेदन करने वाले सभी को मिलेगी।
साथ ही स्कॉलरशिप सीधे ही आवेदक के बैंक खाते में ट्रांसफर होगी। ये
मानसिकता बदलनी पड़ेगी कि मुस्लिमों के पिछड़ेपन का कारण हुकूमत है। हमें
खुद को जागरूक करने की जरूरत है। यूपी कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रीता
बहुगुणा ने कहा कि राजस्थान का इतिहास ही साम्प्रदायिक सौहार्द का रहा है।
शिक्षामंत्री बृज किशोर शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने मुस्लिमों के
लिए बजट में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। जोधपुर में अलग से मौलाना आजाद
विश्वविद्यालय खोला जा रहा है। अल्पसंख्यक विभाग अलग से बनाकर 200 करोड़
रु. का प्रावधान रखा है।
7 करोड़ मुस्लिमों की मासिक आय 1 हजार रु. से कम
स्ट्राइव एमीनेन्स एंड एम्पावरमेंट के अध्यक्ष एवं जामिया- तुल हिदाया
के मौलाना मो. फजलुर्रहीम मुजाद्दी ने सभागार में पावर पाइंट प्रजेंटेशन
के जरिए सच्चर कमेटी की सिफारिशों के बाद यूपीए सरकार की ओर से लागू की गई
योजनाओं की ग्राउंड रियलिटी के बारे में बताया। उन्होंने सरकारी आंकड़ों के
जरिए बताया कि अभी भी देश में 7 करोड़ से अधिक मुस्लिमों की मासिक आय एक
हजार रुपए से कम है।
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