वाडिया (गुजरात)। आर्थिक रूप से समृद्ध विकास के रोल मॉडल के रूप में पहचाने जाने वाले गुजरात में एक गांव ऐसा भी है, जो आज भी आर्थिक रूप से इतना जर्जर है कि यहां देह व्यापार अब जैसे एक परंपरा बन चुका है। इस मामले में यह कहावत यहां बिल्कुल सटीक बैठती है कि ‘सोने की थाली में मिट्टी का ढेला’।
जी हां, इस गांव का नाम है ‘वाडिया’। बनासकांठा जिला, थराद तहसील के अंतर्गत आने वाले वाडिया गांव में लड़कियों के जवान होते ही खुद उनके परिजन ही उनसे जिस्मफरोशी करवाते हैं। अब तो इस गांव के लोगों के लिए यह एक पारंपरिक व्यवसाय सा बन गया है। इसमें भी आश्चर्य की बात यह है कि यहां के अधिकतर लोग वेश्यावृत्ति को बुरा नहीं मानते, बल्कि इसे एक परंपरा के रूप में देखते हैं।
इस गांव में सराणिया समुदाय की बहुलता है। यह संप्रदाय खानाबदोशों की श्रेणी में आता है। गुजरात में आजादी के पहले तक इस समुदाय का मुख्य व्यवसाय छोटे-मोटे घरेलू सामान बनाना था। इनमें से अधिकतर युवक चाकू-छुरी-तलवार आदि पर धार करने का काम किया करते थे।
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