कोटा। अपनी मासूम बेटी को लावारिस छोड़ने वाली मां के पश्चाताप
के बाद बाल कल्याण समिति ने शुक्रवार को बेटी उसके सुपुर्द कर दी। समिति
ने बेटी तो दे दी, लेकिन मां व परिजनों द्वारा पर्याप्त सबूत नहीं दे पाने
के कारण शर्त लगा दी कि अभी सुपुर्दगी अस्थायी है। जब तक समिति सबूतों से
संतुष्ट नहीं हो जाएगी तब तक स्थायी रूप से बालिका नहीं सौंपी जाएगी। समिति
जब चाहे तब बालिका व परिजनों को वापस बुला सकती है।
उद्योगनगर में रहने वाली अंजना उर्फ नटी देवी पत्नी लोकेश कुमार
सोमवार को अपनी 8 माह की बेटी ईशा को प्रेमनगर में एक पेड़ के नीचे छोड़ गई
थी। पति लोकेश को घटना का पता चला तो अंजना के साथ वे बुधवार को भास्कर
कार्यालय पहुंचे। भास्कर ने उन्हें बाल कल्याण समिति के पास भेजा था ताकि
मां-बेटी का पुन: मिलन हो सके। समिति ने उस समय उनसे पूछताछ करने के बाद
शुक्रवार को बेटी सौंपने के लिए बुलाया था।
समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में सदस्य एडवोकेट चितरंजन जैन, विमल
जैन के सामने परिजन उपस्थित हुए। समिति ने सबूत के लिए उनसे बच्ची की जन्म
तिथि तथा उस दिन का घटनाक्रम भी पूछा। समिति सदस्यों का कहना है कि कुछ
सबूत तो उन्होंने दे दिए, लेकिन जन्म तिथि के बारे में उनकी बताई गई तारीख
तथा बालिका के साथ मौके पर मिले पोलियो टीकाकरण कार्ड पर दर्ज तिथि भिन्न
पाई गई।
ऐसे में उनसे बेटी के जन्म स्थान तलवास गांव से सर्टिफिकेट लाने के
लिए कहा गया है। महिला के रिश्तेदारों की उपस्थिति में फिलहाल अस्थायी रूप
से बेटी को मां के सुपुर्द कर दिया गया है। यदि वे पर्याप्त सबूत पेश नहीं
कर पाए तो मां-बेटी का डीएनए टेस्ट करवाया जाएगा।
पुलिस में मुकदमा दर्ज
समिति जब सुनवाई कर रही थी उसी समय उद्योगनगर थाने के आईओ कमलकिशोर
पुरी भी वहां पहुंच गए। बेटी को लावारिस छोड़ना कानूनन अपराध की श्रेणी में
आता है, उस दिन तो पुलिस ने अज्ञात महिला के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली थी।
अब मां व परिजनों के सामने आने के बाद पुलिस सभी को वहां से थाने ले गई।
जहां मां अंजना को आईपीसी की धारा 317, बच्चों को लावारिस छोड़ने के मामले
में गिरफ्तार कर थाने में ही हाथोंहाथ जमानत भी ले ली।
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