आपका-अख्तर खान

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29 जून 2013

आज फिर कुरेदा उसने मुझे

आज  फिर
कुरेदा उसने मुझे
दिल के सुख चुके जख्मो के बारे में
एक बार प्यार से पूंछ ही लिया
अकेले क्यूँ हो अकेले क्यूँ हो
बस
एक भूली हुई दास्ताँ
एक रुकी हुई जिंदगी
एक टुटा हुआ प्यार
एक रूठी हुई जिंदगी
एक बिखरी हुई याद
यूँ उसका मिलना
यूँ उसका इस दुनिया से चला जाना
याद आ गया
आज ना जाने क्यूँ
उसने प्यार से
पूंछ डाला अकेले क्यूँ हो
अकेले क्यूँ हो
उसके इस सवाल ने
उसके इस इसरार ने
फिर से मुझे झकझोरा है
में जो भीड़ में था
एक बार फिर
एक बार फिर
मुझे अकेला सिर्फ अकेला कर छोड़ा है ..
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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