कोटा। खदानों में पत्थर तोड़ने के लिए काम में लिए जा रहे
खतरनाक केमिकल से आंखों की रोशनी जाने का एक और मामला सोमवार को सामने आया।
इससे पहले 5 श्रमिकों की आंखों की रोशनी छिन चुकी है। उसके बावजूद न तो
प्रशासन ने कोई एक्शन लिया, न ही खान मालिकों व ठेकेदारों ने सेफ्टी के
उपाय अपनाए।
बूंदी जिले के डाबी क्षेत्र के लांबापुरा गांव निवासी 26 वर्षीय
कलामसिंह गांव में ही खान पर मजदूरी करता है। रविवार की शाम को उसने पत्थर
तोड़ने के लिए केमिकल का घोल तैयार किया और उसे चट्टानों में भर दिया। रात
को 12 बजे कलामसिंह एक बार फिर खान में केमिकल का असर देखने के लिए गया।
उसने न तो सेफ्टी चश्मा लगा रखा था, न ही कोई दस्ताने पहन रखे थे। जैसे ही
उसने चट्टान के होल में देखा, भीतर से उठती गैस उसकी आंखों से टकराई और वो
जलन के कारण बिलख उठा। कुछ ही देर में दोनों आंखों में सूजन आ गई और उसे
दिखना बंद हो गया।
परिजन व ठेकेदार उसे लेकर कोटा सुवि नेत्र चिकित्सालय पहुंचे। जहां
डॉ. सुरेश पांडेय व डॉ. विदुषी पांडेय ने इलाज शुरू किया। डॉ. पांडेय के
अनुसार उसकी दाईं आंख तो बुरी तरह चिपक गई थी। जिसे मुश्किल से खोला गया।
केमिकल का असर दोनों आंखों की रोशनी पर पड़ा है। दाईं आंख की रोशनी लगभग 50
प्रतिशत चली गई, जबकि बांई आंख में 20 प्रतिशत असर पड़ा है।
॥रिपोर्ट ये स्पष्ट हो गया है कि खदानों में खतरनाक केमिकल का उपयोग
हो रहा है। अभी ये तय नहीं है कि केमिकल का उपयोग प्रतिबंधित है या नहीं।
इसके लिए पुलिस विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है। संभागीय आयुक्त के साथ भी इस
बात पर विचार विमर्श हो चुका है।’
- जोगाराम, जिला कलेक्टर
केवल एक दिन कार्रवाई असर कुछ नहीं
केमिकल से अब तक 6 जनों की रोशनी छिन चुकी है। भास्कर ने मामले का
खुलासा किया तो कलेक्टर जोगाराम ने माइंस विभाग को रिपोर्ट तैयार करने के
आदेश दिए। 26 मई को माइंस एंड जियोलॉजी विभाग के सीनियर माइंस फोरमैन सुरेश
व्यास तथा माइंस इंजीनियर पीएल मीणा मंडाना क्षेत्र में लिसाडिया वाली खान
पर पहुंचे।
उन्हें वहां पर खान में होल और उसमें केमिकल भरने के निशान मिले। मौके
पर फ्यूज केमिकल पाउडर (यूज किया जा चुका) भी मिला। उन्होंने एक रिपोर्ट
कलेक्टर को सौंपी। जिसे कलेक्टर ने खारिज कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी। उसके
बाद आज तक कुछ नहीं हुआ।
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