कोटा। शादी-विवाह जैसे समारोह के लिए आज एक से बढ़कर एक महंगे
निमंत्रण पत्र छपवाए जा रहे हैं। किसी ने महंगा छपवा दिया तो दूसरे के मन
में हमेशा ये कसक रहती है कि फलां ने इतने महंगे निमंत्रण पत्र बंटवाए थे,
तो मैं कैसे सस्ता छपवाकर बांटू।
यह सोच फिजुलखर्ची के साथ-साथ हीन भावना को भी बल देती है। इन्हीं
बातों को ध्यान में रखते हुए दाउदी बोहरा समाज ने शादी-समारोह में निमंत्रण
पत्र न छपवाने का निर्णय लिया है। वे अब रिश्तेदारों और नातेदारों को ईमेल
और एसएमएस के जरिए बुलाएंगे। सामाजिक बदलाव की यह मिसाल पेश करने वाले
बोहरा समाज के लोग अब फिजूल खर्ची रोक, शादी में खाने की क्वालिटी पर ध्यान
देंगे।
समाज के आमिल अजीज भाई के मुताबिक यह धर्मगुरु डॉ. सैयदना
बुरहानुद्दीन साहब के उत्तराधिकारी व उनके बेटे सैय्यद मुफद्ल सैफुद्दीन
साहब का आदेश है। उनका मानना है कि शादी-समारोह में फिजुलखर्ची बड़ी समस्या
है। समाज का जो व्यक्ति ज्यादा खर्च नहीं कर पाता उसमें हीन भावना पनपती
है। जो आगे चलकर समाजबंधुओं के रिश्तों में खटास पैदा करती हैं। समाज इस
बदलाव से सहमत है और धीरे-धीरे इसे अमल में ला रहा है।
खाने में क्वालिटी पर ध्यान दो क्वांटिटी पर नहीं
प्रवक्ता जूजर भाई ने बताया कि शादी के भोजन में क्वांटिटी पर ध्यान
देने के बजाए क्वालिटी पर जोर रहेगा। शादी में मिठाई चाहे दो ही हो, लेकिन
उसमें अच्छी सामग्री का प्रयोग होना चाहिए। शादी-समारोह में ज्यादा आइटम
बनवाने के चक्कर में कभी-कभी लोग क्वालिटी से समझौता कर लेते हैं। जिसका
सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। साथ ही बच्चे और डायबिटीज के मरीज छूट
मिलने पर अधिक मात्रा में सेवन कर लेते हैं, जो खतरनाक है।
इन फिजुलखर्चो पर लगेगी रोक
ञ्च शादी कार्ड घर-घर जाकर बांटने में बहुत बड़ी मात्रा में गाड़ी का ईंधन खर्च होता है।
ञ्च कार्ड पर नाम लिखने, जाने-आने और मिलने से समय की बर्बादी होती है।
ञ्च कार्ड पर 1000 रुपए भी खर्च हो जाए तो बाद में उसका कोई उपयोग नहीं होता।
ञ्च शादी की तैयारियों की पूरी प्रक्रिया ही बहुत जटिल होती जा रही है।
प्रभावी !!!
जवाब देंहटाएंशुभकामना
आर्यावर्त