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03 जून 2013

मंत्री जी इतने नाराज हो गए की बैठने से भी कर दिया इंकार



कोटा। सोमवार दोपहर को ग्रामीण एसपी दफ्तर में फोन पर रिंग बजी। उधर, मंत्री भरतसिंह ने केवल इतना ही कहा-ऑफिस में बैठे हो, मैं आ रहा हूं। एसपी विकास पाठक ने जवाब दिया कि मैं ही आ जाता हूं, लेकिन मंत्री ने कहा-नहीं मुझे ही आना पड़ेगा। वैसे भी हमें तो अब आपके पास आना ही है।
वे पाठक के कार्यालय पहुंचे और खड़े-खड़े बात की। एसपी ने उन्हें कुर्सी पर बैठने के लिए कहा तो मंत्री बोले, शुक्रवार को जब आपसे मिलने जनप्रतिनिधि आए तो आपने कुर्सियां हटा ली। आज कह रहे हैं बैठो, मैं बैठने नहीं आया। उन्होंने कहा-सीमल्या मामले में निष्पक्ष जांच करो।                
मामले एक जैसे, रवैया अलग क्यों 
प्रकरण.1. सीमल्या में एक आरोपी राजेन्द्र खारौल के थाने से भागने पर पुलिस ने दूसरे व्यक्ति को कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया था। थानाप्रभारी सहित पुलिस कर्मी लाइन हाजिर।
यह कहा भरतसिंह ने: इस मामले में जो जांच हुई है, वह ठीक नहीं है, इसकी दुबारा से निष्पक्ष जांच कराई जाए। जब जनप्रतिनिधि पूर्व में ही निष्पक्ष जांच की मांग कर चुके हैं तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही। इसी प्रकार सीमल्या टोल नाके पर पिछले दिनों लूट की घटना हुई थी, जिसमें भी पुलिस की भूमिका ठीक नहीं थी, नाके पर लूट व मारपीट की घटना हुई, जिसे पुलिस ने सामान्य मारपीट का मामला बना दिया, अधिकारियों ने कुछ नहीं किया।
खारौल मिला एसपी से
प्रकरण-2: बपावर में धाकड़ समाज के सम्मेलन में जुआ खेलते कुछ लोग पकड़े, पथराव भी हुआ। पुलिस ने ६ जने नामजद किए, जिसमें समाज के लोगों ने परेशान करने का आरोप लगा था।
यह कहा मंत्री ने: उनके खिलाफ चुनाव लड़े हीरालाल नागर ने शिकायत की थी, इसमें पुलिस की भूमिका ठीक नहीं थी। इसकी जांच कौन करेगा। क्या जांच के दौरान थानाप्रभारी व अन्य को लाइन हाजिर किया जाएगा। जब सीमल्या में कर दिया तो फिर यहां क्यों नहीं की जा रही कार्रवाई।
फोटो: कोटा ग्रामीण एसपी विकास पाठक के दफ्तर में कुर्सी के लिए मना करते मंत्री भरतसिंह। कुछ दिन पहले जनप्रतिनिधि एसपी के दफ्तर में गए थे तो उन्होंने बैठने की जगह नहीं दी। मंत्री ने भी 14 मिनट तक खड़े-खड़े बात की। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि हम तो तीन महीने बाद सड़क पर होंगे, आपको तो 30 साल कुर्सी पर बैठना है।              
फोटो: जितेन्द्र जोशी

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