जयपुर। भाजपा अब पूरे इलेक्शन मोड में आ गई है। उसने बड़े
पैमाने पर नए और अच्छी छवि वाले निर्धन कार्यकर्ताओं को भी चुनाव लड़वाने
का मानस बना लिया। भाजपा ने तय किया कि विधानसभा चुनाव में उसके उम्मीदवार
कार्यकर्ताओं के पैसों से ही चुनाव लड़ेंगे।
बाहरी लोगों से पैसा नहीं लिया जाएगा। इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र
से 25-25 लाख रुपए कार्यकर्ताओं से जुटाने का निर्णय लिया गया। इस प्रकार
प्रदेशभर से 50 करोड़ रु. आएंगे। फंड एकत्र करने से लेकर चुनाव में खर्च
करने तक का सारा जिम्मा, पार्टी के विस क्षेत्रीय चुनाव प्रभारी का रहेगा।
बड़े नेताओं के अनुसार फंडा यह है कि जेब के पैसे खर्च होने से
कार्यकर्ता पूरी शिद्दत से प्रत्याशी के साथ जुटेंगे और अपनी भूमिका महसूस
करेंगे। विधायकों पर कार्यकर्ताओं का अंकुश रहेगा और भ्रष्टाचार का दबाव भी
नहीं रहेगा। चुनावी व्यवस्था की कमान पार्टी के राष्ट्रीय संगठन सहमंत्री
सौदान सिंह संभाल रहे हैं। उदयपुर संभाग में तो पार्टी ने यह काम भी शुरू
कर दिया। पार्टी गुजरात में भी ऐसा कर चुकी है। वहां विधानसभा चुनाव में
कार्यकर्ताओं से 98 करोड़ रुपए आए थे।
फंड जुटाएंगे विधानसभा प्रभारी
हर विधानसभा क्षेत्र में एक वरिष्ठ नेता प्रभारी होगा। चुनाव लड़वाने
की जिम्मेदारी इसी नेता की रहेगी। पार्टी की प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने
हर विधानसभा क्षेत्र से तीन नामों का पैनल मंगाया है। इन तीन में से एक
नाम फाइनल होगा। जो नेता प्रभारी बनेगा, चुनाव नहीं लड़ेगा। वह सिर्फ चुनाव
जिताने के लिए फोकस करेगा। चुनाव के बाद उसका महत्व विधायक या मंत्री से
किसी भी तरह कम नहीं रहेगा।
चंदा हैसियत के अनुसार
चुनावी चंदा सिर्फ कार्यकर्ताओं से ऑन रिकॉर्ड ही लिया जाएगा। इसकी
बाकायदा रसीद जारी की जाएगी। यह हैसियत के अनुसार 50 रुपए से लेकर 10 हजार
रुपए तक हो सकता है। यह पैसा पहले प्रदेश में एकत्र होगा, फिर उम्मीदवार
के लिए रिलीज होगा। चुनाव आयोग ने विस क्षेत्र के लिए खर्च की सीमा 16 लाख
रुपए तय कर रखी है। चुनावी फंड से जो राशि बचेगी, पार्टी के प्रदेश फंड में
जाएगी।
ये रहेगी रणनीति
विधानसभा में चुनाव प्रभारी के अधीन सात प्रकोष्ठों की टीम काम करेगी।
इसमें सीए, लीगल, चुनाव, मेडिकल प्रकोष्ठ, मीडिया, आईटी के विधानसभा
संयोजक बनाए जा रहे हैं। प्रत्याशी के चुनावी खर्च सीमा का ब्योरा सीए
प्रकोष्ठ का संयोजक, कैंपेनिंग के लिए सोशल मीडिया का काम आईटी प्रकोष्ठ,
फार्म भरवाने, शपथ पत्र आदि कानूनी बारीकियां विधि प्रकोष्ठ संयोजक देखेगा।
यह पूरी टीम प्रत्याशी के लिए काम करेगी। पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता
निर्मला सीतारामन जून में सबको प्रशिक्षण देंगी।
राजनीतिक मायने
जिताऊ के नाम पर खराब छवि वाले धन बली नेताओं से पार्टी पीछा छुड़ा
सकेगी और साफ-सुथरी छवि वाले पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ताओं को चुनाव
लड़ा सकेगी। भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगेंगे। जेब के पैसे खर्च होने से
कार्यकर्ता चुनाव में अपनेपन से काम करेगा। विधायक पर कार्यकर्ताओं का दबाव
रहेगा। कार्यकर्ता मजबूत रहेगा तो पार्टी की ताकत बढ़ेगी। फंड के लिए
प्रत्याशी को बड़े व्यापारी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
कार्यकर्ता लड़वाएंगे चुनाव : चतुर्वेदी
भाजपा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी के अनुसार भाजपा विचारधारा
आधारित कार्यकर्ताओं की पार्टी है। चुनाव भी उनकी ताकत से लड़ते हैं। इस
बार चुनाव का सारा खर्चा कार्यकर्ताओं के सहयोग से ही जुटाएंगे।
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