लिपट जाना मेरे सीने से आकर दफ्तन तेरा
अभी तक याद है मुझको वो कोमल बदन तेरा
तेरे आगन मैं बैठा था मैं एक दिन चारपाई पर
अभी तक याद है मुझको वो गगन तेरा
तेरे आचल मैं छुप जाना अभी तक याद है मुझको
तेरा वो घास पर चलना ओर वो चमन तेरा
बहुत याद आते हैं मुझको वो बीते हुए लम्हे
बही छूना तुझे वो ही प्यारा बदन तेरा
लिपट जाना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,मधु गुप्ता ,,,,,,,,,,
लिपट जाना मेरे सीने से आकर दफ्तन तेरा
अभी तक याद है मुझको वो कोमल बदन तेरा
तेरे आगन मैं बैठा था मैं एक दिन चारपाई पर
अभी तक याद है मुझको वो गगन तेरा
तेरे आचल मैं छुप जाना अभी तक याद है मुझको
तेरा वो घास पर चलना ओर वो चमन तेरा
बहुत याद आते हैं मुझको वो बीते हुए लम्हे
बही छूना तुझे वो ही प्यारा बदन तेरा
लिपट जाना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,मधु गुप्ता ,,,,,,,,,,
अभी तक याद है मुझको वो कोमल बदन तेरा
तेरे आगन मैं बैठा था मैं एक दिन चारपाई पर
अभी तक याद है मुझको वो गगन तेरा
तेरे आचल मैं छुप जाना अभी तक याद है मुझको
तेरा वो घास पर चलना ओर वो चमन तेरा
बहुत याद आते हैं मुझको वो बीते हुए लम्हे
बही छूना तुझे वो ही प्यारा बदन तेरा
लिपट जाना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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