आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

06 मई 2013

लिपट जाना मेरे सीने से आकर

लिपट जाना मेरे सीने से आकर दफ्तन तेरा
अभी तक याद है मुझको वो कोमल बदन तेरा
तेरे आगन मैं बैठा था मैं एक दिन चारपाई पर
अभी तक याद है मुझको वो गगन तेरा
तेरे आचल मैं छुप जाना अभी तक याद है मुझको
तेरा वो घास पर चलना ओर वो चमन तेरा
बहुत याद आते हैं मुझको वो बीते हुए लम्हे
बही छूना तुझे वो ही प्यारा बदन तेरा
लिपट जाना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मधु गुप्ता ,,,,,,,,,,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...