राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला राजस्थान के गोपालगढ़
सरकारी नरसंहार के मामले में देर आयद दुरुस्त आयद हुए है उन्होंने घटना के
तीन सालों बाद इस सच को स्वीकार है के राजस्थान सरकार गोपालगढ़ मामले में
पूरी तरह दोषी है यह सच उनकी जुबां से निकलने में पुरे तीन साल लग तय है
खेर देर आयद दुस्रुस्त आयद .....दोस्तों देश में और राज्यों में अल्पसंख्यक
आयोग बनाकर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा संरक्षा और उनके कल्याण के लियें
सुझाव देने के लियें जो आयोग बनाये गए है उन पर प्रतिवर्ष करोड़ो रूपये खर्च
होते है लेकिन सभी आयोग के अध्यक्ष मुख्यमंत्री या फिर प्रधानमन्त्री के
चमचे होते है और त्नख्य्ये होने के कारन मुख्यमंत्री और प्रधानमन्त्री के
गुणगान चरण भात की तरह नज़र आते है ....राजस्थान में गोपाल्गद नरसंहार हुआ
सरकार उंगलियाँ उठी राहुल गांधी ने इसे गम्भीरता से लिया लेकिन राजस्थान के
गुलाम काफ़िर मोलाना खरीद फरोख्त में लग गए और मुझे रोटी का टुकड़ा दे दो
फिर कोम को भाड़ में झोंक दो की तर्ज़ पर सरकार के कसीदे पढने लगे हुआ भी
यही राजस्थान के मोलानाओं ..सरकार की नोकरी से हते लोगों को सरकार ने इनाम
दिया गुलामों को फिर कोम की सोदेबजी करने का मोका दिया मस्जिदें बिकी कोम
बिकी ....मदरसे बर्बाद हुए और तो और राजस्थान के अल्पसंख्यक आयोग को
गोपाल्ग्ध का दर्द तक नज़र नहीं आया हां वेतन भोगी कर्मचारी की तरह सरकार की
गोलीबारी और क्रूरता की पेरवी करते रहे कोई रिपोर्ट तय्यार नहीं हुई कोई
सुझाव नहीं दिए कलेक्टर एस पी के खिलाफ दिखावे के तोर पर हटाया गया ....खुद
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की टीम राजस्थान आई लेकिन गोपालगढ़ नहीं गयी
राजस्थान सरकार की महमान बनी जिस सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ राष्ट्रिय
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जांच करने आये थे वोह उन्ही के यहाँ मेजबानी
लज़ीज़ खाने कहकर गए बताइए फिर क्या रिपोर्ट आती रिपोर्ट हलक में अटक गयी
..लेकिन कहते है निर्दोषों का खून सर चढ़ कर बोलता है फिर वोह खून चाहे
हिन्दू का हो चाहे मुसलमानों का और कल ऐसा ही हुआ एक सरकारी कार्यक्रम में
राष्ट्रिय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत ह्बिबुला जो गोपालगढ़ का सच
दबाये बेठे थे खुद ने उनके जज्बात भड़काए और उनकी जुबान से सच निकल पढ़ा
उन्होंने चीख कर स्वीकार के राजस्थान का गोपालगढ़ नरसंहार सरकार के फेल्योर
होने का नतीजा था लेकिन कुछ भी हो वोह निर्दोष जाने वापस नहीं आ सकती और
सरकार जिसे खुद अल्पसंख्यक आयोग दोषी मनाता है इसके खिलाफ जुबां से बोलने
वाला यही राष्ट्रिय अल्पसंख्यक आयोग का अधिय्क्ष अपनी लिखित रिपोर्ट केंद्र
सरकार राजस्थान के गवर्नर और राष्ट्रपति को नहीं दे सकता लेकिन सच है के
जब दिया बुझने लगता है तो लो उठती है और जब राष्ट्रिय अल्पसंख्यक आयोग के
अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा होने का वक्त आया तब उनका जमीर जाग और वोह
मुसलमान हो गए ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)