आपका-अख्तर खान

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01 मई 2013

मैं समझती थी मैं ही पागल हूँ

मैं समझती थी मैं ही पागल हूँ
अपनी दुनियाँ में मस्त खुद में ही खोयी
शायद अलबेली
तुमसे मिली तो तुम भी अलमस्त अलबेली
मेरी तरह अकेली
चलो एक से भले दो
दिनभर अपनी ही दुनिया में खोयी
अब तो मुझे यह दुनिया ही पागल लगती है
जरा मेरे नाज़रिये से देखो...अंजना

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