मैं समझती थी मैं ही पागल हूँ
अपनी दुनियाँ में मस्त खुद में ही खोयी
शायद अलबेली
तुमसे मिली तो तुम भी अलमस्त अलबेली
मेरी तरह अकेली
चलो एक से भले दो
दिनभर अपनी ही दुनिया में खोयी
अब तो मुझे यह दुनिया ही पागल लगती है
जरा मेरे नाज़रिये से देखो...अंजना
मैं समझती थी मैं ही पागल हूँ
अपनी दुनियाँ में मस्त खुद में ही खोयी
शायद अलबेली
तुमसे मिली तो तुम भी अलमस्त अलबेली
मेरी तरह अकेली
चलो एक से भले दो
दिनभर अपनी ही दुनिया में खोयी
अब तो मुझे यह दुनिया ही पागल लगती है
जरा मेरे नाज़रिये से देखो...अंजना
अपनी दुनियाँ में मस्त खुद में ही खोयी
शायद अलबेली
तुमसे मिली तो तुम भी अलमस्त अलबेली
मेरी तरह अकेली
चलो एक से भले दो
दिनभर अपनी ही दुनिया में खोयी
अब तो मुझे यह दुनिया ही पागल लगती है
जरा मेरे नाज़रिये से देखो...अंजना
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