आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

01 मई 2013

जब से मेरी आँखों में जाला पड़ गया

जब से मेरी आँखों में जाला पड़ गया
जब से मेरी आँखों में जाला पड़ गया
सच मानिये दिल का उजाला बढ़ गया
अब नजर आता है मुझको साफ़ साफ़
क्यों खडी फसल पे पाला पड़ गया
आँख रहते सच नजर आता नहीं था
मेरा वजूद किस नहर में सड़ गया
क़त्ल करते हुए देखा था अपनी आँख से
फिर भी वह तो झूठ पर ही अड़ गया
चुप चाप देखता रहा अपराध बढ़ता ही रहा
सांसदों का काफिला कुछ और आगे बढ़ गया
क्या खिलाएं अपने बच्चों को यहाँ पर अब
हर चीज का मिजाज़ देखो आसमा पर चढ़ गया
बे खौफ घूमता था मैं सड़कों पर सीना तान
घबरा रहा हूँ जबसे मेरा सच से पाला पड़ गया
"चरण"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...