लखनऊ. राजधानी में इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव के कार्यक्रम के दौरान पुलिसवाले आपस में ही भिड़ गए। दो
जवानों की आपस में पहले कहासुनी हुई, फिर दोनों ने एक-दूसरे पर लाठियां
भांजनी शुरू कर दी। दोनों ने एक-दूसरे को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इस
घटना में दोनों बुरी तरह जख्मी हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।
आला अधिकारियों ने दोनों सिपाहियों को निलंबित कर दिया है।
बताया जाता है कि इतनी बड़ी बात के पीछे वजह बहुत मामूली थी। लेकिन इस
घटना ने राज्य की पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य की
पुलिस पहले ही अपनी करतूतों की वजह से बदनाम है। लेकिन अब तक इनकी बर्बरता
आम लोगों या अपराधियों पर दिखती थी। इस बार इन्होंने आपस में ही बर्बरता
दिखा कर पुलिस की संवेदनहीनता का एक और सबूत दे दिया है।
बर्बरता की सारी हदें पार करने वाली यूपी पुलिस आपस में लड़ने के साथ
ही आम आदमी पर कहर बरपाने में नहीं चूकती है। हाल ही में एटा जिले में सगे
भाई की हत्या के आरोपी से जुर्म कबूल करवाने के लिए उसने थर्ड डिग्री का
इस्तेमाल किया। पुलिस ने आरोपी बलवीर के प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल और तेजाब का इंजेक्शन लगाया।
इससे पहले तो उसकी हालत बिगड़ी, फिर शुक्रवार को मौत हो गई। मामला सामने
आया तो दारोगा शैलेंद्र सिंह सहित दो होमगार्ड को निलंबित कर उनके खिलाफ
केस दर्ज किया गया। मजिस्ट्रेट से मामले की जांच कराने के आदेश भी दिए गए।
वहीं, कुशीनगर के पडरौना में रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना
सामने आई। पुलिस ने एक शव के साथ भी बदसलूकी की। पहले शव को कार से खींचकर
निकाला गया और फिर एक महिला को उसे उठाने को कहा गया। जबकि वहीं एक
पुलिसवाला वहां खड़ा था। जानकारी के मुताबिक, एक झोलाछाप डॉक्टर की गलती से
महिला की मौत हो गई थी। उसी का शव लेकर पुलिस अस्पताल पहुंची थी। वहां शव
को सामान से भरी बोरी की तरह घसीटा गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)