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25 मई 2013

क्या होता है नवतपा और क्यों चढ़ता है पारा? कई लोगों को नहीं पता यह विज्ञान


वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। व्यावहारिक तौर पर भी सूर्य से कई तरह से मिलने वाली जीवन शक्ति इस बात को साबित भी करती है। हिन्दू धर्म में सूर्य प्रमुख देवताओं में एक है। यही नहीं, पूरी कालगणना सूर्य की गति पर आधारित है। ज्योतिष शास्त्रों में भी सूर्य की चाल से इंसानी जीवन पर होने वाले शुभ-अशुभ प्रभा 
 
आमतौर पर कई लोग नवतपा के बारे में इससे ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं कि इस दौरान भीषण गर्मी पड़ती है। किंतु नवतपा क्या है और क्या है इसकी जिंदगी के लिए अहमियत, इस पर गौर नहीं करते। असल में, नवतपा यानी नौतपा से जीवन और जगत में होने बदलावों से जुड़ा रोचक धर्म ज्ञान और विज्ञान है

क्या है  नवतपा - हिन्दू पंचांग के तीसरे माह ज्येष्ठ में वृष संक्राति यानी वृषभ राशि में रहते हुए सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो वह  नौतपा की शुरुआत मानी जाती है। इस दौरान 15 दिन की अवधि में से पहले 9 दिनों को  नौतपा पुकारा जाता है। इस दौरान सूर्य का तापमान व चमक चरम पर होते हैं।
वों को उजागर किया गया है। इसी कड़ी में 25 मई से शुरू व 3 जून को खत्म होने वाले नवतपा या नौतपा का नाता भी सूर्य की गति से है।

रोहिणी नक्षत्र - रोहिणी नक्षत्र आकाश मण्डल का चौथा नक्षत्र है, जो वृषभ राशि के चारों चरणों में रहता है। इस राशि के स्वामी शुक्र हैं, वहीं नक्षत्र के स्वामी चंद्रदेव है। रोहिणी के नियंत्रक देवता ब्रह्मदेव भी माने जाते हैं। 
 
ज्येष्ठ माह -  सनातन धर्म में सूर्य को प्रत्यक्ष देव माना जाता हैं। सूर्य की यात्रा बारह माह में बारह राशियों से होकर पूरी होती है। सूर्य की इस यात्रा के दो भाग होते हैं - पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। सूर्य मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृषभ और मिथुन से गुजरने पर उत्तरायण होता है यानी आकाश में सूर्य उत्तर की ओर झुका होता है, सूर्य की उत्तर की यात्रा शुभ मानी जाती है। 
इसी कड़ी में हिन्दू पंचांग के ज्येष्ठ माह में सूर्य, उत्तरायन की यात्रा के दौरान जब मकर, कुंभ, मीन राशि, मेष राशि से गुजरकर वृष राशि में संक्रमण करता है, जो वृष संक्रांति कहलाती है। ज्येष्ठ माह ग्रीष्म ऋतु का काल होता है। 
 
क्या कहता है विज्ञान? - वृष संक्रांति में नौतपा के दौरान पड़ने वाली अधिक गर्मी बारिश के लिहाज से सुखद मानी जाती है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यही है कि इस दौरान सूर्य की किरणें धरती पर सीधी गिरती हैं, जिससे तापमान बढ़ता है। अधिक गर्मी से जमीन पर कम दबाव का क्षेत्र बनता है, जो समुद्र की लहरों को अपनी ओर खींचता है, जिससे शीतल वायु जमीन की ओर बढ़ती है। इससे समुद्र में उच्च दबाव का क्षेत्र बन जाता है। नतीजतन अच्छी बारिश होती है।

जीवन सूत्र- उत्तरायन में  नौतपा से जुड़ी सूर्य की गति व ताप से मानव के लिए भी ताप व संताप से राहत पाने के संदेश भी छिपे हैं। इसके मुताबिक सूर्य की तरह ही जीवन में अनुशासन को अपनाकर हम अपने व्यक्तित्व व चरित्र को  उजला व ऊर्जावान बना लें, जो सूर्य की चाल व गति की तरह ही बिना अपनी राह से विचलित हुए आगे बढ़ते रहने से संभव हो सकता है।  
 
इससे हम न केवल अपने लक्ष्य को पाने के लिए ऊर्जावान बने रहेंगे, बल्कि भीषण गर्मी की तरह असहनीय लगने वाले दु:ख, संकट व संताप से भी आसानी से पार पा लेंगे। ठीक उसी तरह जैसे सूर्य के लिए ज्येष्ठ माह ऐसा काल होता है, जिसमें वह अपनी नियत गति व चाल के साथ उत्तरायन की आधी यात्रा पूरी कर चुका होता है और दक्षिणायण की पूरी यात्रा के लिए ऊर्जा प्राप्त करता है।

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