१. हमें ऐसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है,जो अपराधियों को राजनीति में
प्रवेश से रोकने को वाध्य कर सके।अगर गबन, आय से अधिक संपत्ति आदि सहित
आपराधिक मुकद्दमा विचाराधीन हें तो कोर्ट से निर्दोष हुए बिना चुनाव नहीं
लड़ सकते,फिर मुक्कदमे लम्वित नहीं होगे तुरंत फेश्ला होगा I
२. हमें
न्यायिक प्रोत्साहन की जरूरत है, जिससे न्याय में तेजी आ सके।स्वीकृत पदों
पर पूरे जजों की नियुक्ति कोई कोर्ट खाली नहीं, न्यायालय का समय अधिक और
अवकाश बहुत कम, अधिकतम 6 माह में फेश्ला, एक माह में अपील पर फेश्ला, जबाब
देही सहित, बिधिक भूल या विधि बिरुद्ध ? साथ ही जिस प्रदेश के वकील को जज
बनाया जाये उसकी न्युक्ति उसही प्रदेश में कदापि और कभी नहींI उम्र 65 के
बाद कोई सरकारी या जनता का पेशा खाने का कोई पद नहीं I
२.कम से कम हमें चुनाव आयोग की तर्ज पर एक स्वतंत्र पुलिस आयोग की आवश्यकता है,
जो नेताओं और भिरस्ट अधिकारियो ( जिसके लिए शासन की अनुमति लिए बिना) के
खिलाफ उनके प्रभाव की परवाह किये बिना जांच कर सके और उन पर मुकदमा चला सके
I
जिससे नेताओ और अधिकारियो दुआरा किया गया अपराध और भ्रष्टाचार लाभदायक नहीं बल्कि अत्यधिक जोखिम भरा काम बन जाए।
सबसे पहले हमें उस अराजक स्थिति को खत्म करना चाहिए, जिसमें अपराधी
राजनीति में शामिल हो जाते हैं,और कई बार वे केबिनेट मंत्री भी बन जाते
हैं।
इससे उनका प्रभाव बढ़ जाता है और यह भी तय हो जाता है कि उन पर कोई मामला नहीं चलाया जाएगा।
साल 2004 के आम चुनाव में 543 विजेताओं में से 128 पर अपराधिक आरोप थे।
इनमें 84 हत्या के आरोपी थे, 17 डकैती के और 28 चोरी और जबरन वसूली के
आरोपी थे। एक सांसद पर 17 हत्या करने का आरोप था।
कोई भी पार्टी बेदाग
नहीं थी। हर पार्टी में अपराधियों की संख्या काफी थी, क्योंकि इन सज्जनों
नें पार्टी और नेता को धन उपलब्ध कराया, बाहुबल और संरक्षण नेटवर्क उपलब्ध
कराया, जिसे हर पार्टी के नेता ने उपयोगी समझा।।
अशोक सक्सेना एडवोकेट झाँसी मोबा.09415509233
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