आज के दौर में मिल रही
भौतिक सुख-सुविधाओं ने दूरियां कम करने के साथ वक्त तो बचाया है किंतु साथ
ही कई परेशानियां भी पैदा की है। खासतौर पर मेहनत की कमी ने मन के साथ शरीर
पर भी तरह-तरह से बुरा असर डाला है।
शरीर पर आलस्य या परिश्रम की कमी से हावी होने वाला दोष दिल की बीमारी
के रूप में देखा जा सकता है। बच्चे हो या बूढ़े किसी की भी जीवन के सफर को
थामने वाली इस बीमारी में खोया मनोबल और इच्छाशक्ति को पाने के लिए इलाज
के साथ धार्मिक उपाय भी कारगर साबित होते हैं।
माना जाता है कि दिल की बीमारी, जिस पर लाखों खर्च हो सकते हैं, सिर्फ
एक 4 अक्षरी शिव मंत्र को बोलने से ही काबू में रहती है और राहत भी देती
है। जानिए कौन सा है यह जादुई शिव मंत्र -
शास्त्रों में हृदय रोग में दिमागी शक्ति देने वाला और मानसिक अशांति दूर
करने वाला एक अद्भुत मंत्र बताया गया है। यह मंत्र भगवान शिव के
महामृत्युंजय रूप की उपासना का अंग है। शिव का यह रूप काल, रोग और भय से
रक्षा करने वाला माना जाता है। यह महामृत्युंजय मंत्र का ही एक रूप है, जो
चार अक्षरी महामृत्युंजय मंत्र कहलाता है
यह मंत्र है - ऊँ वं जू़ स: ।।
हृदय रोग से पीडि़त व्यक्ति इस मंत्र का जप हर रोज या सोमवार को स्नान
के बाद देवालय में शिव की पंचोपचार पूजा के साथ करे। जिसमें शिव का
बिल्वपत्र, रोली, चंदन, सफेद फूल, धूप, दीप अर्पित कर इस मंत्र का कम से
108 बार उच्चारण करें। संभव न होने पर शयन या आराम की मुद्रा में मन ही मन
गहरी आस्था और श्रद्धा के साथ जप करें।
ऐसा भी संभव न होने पर पीडि़त का कोई भी परिजन देवालय में इस मंत्र का
जप करे। कहा भी जाता है कि दवा के साथ दुआओं का भी असर होता है। यह मंत्र
इसी बात को व्यावहारिक रूप से सिद्ध करता है।
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