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27 मई 2013

उफ़ ये अकेला मन

उफ़ ये अकेला मन

सुनो , ये रात - रात भर जागकर
किससे बातें करते हो ,
सुनो , ये अकेले होने का अहसास
किससे साँझा करते हो ,
कौन है जो तुम्हारा दर्द
तुमसे बाँट पायेगा ,
यहाँ हर एक अपने दर्द की
दास्तान तुम्हें सुनाएगा ,
ये जो हाथ भर की दुरी भी
दूर करने में एक उम्र लगा देते हैं ,
तो सोचो , मीलों की दुरी में
वो और कितना वक़्त लगाएगा ,
चलो जाने दो ,
क्यु परेशान होते हो सोचकर ,
आँखे बंद करो तुम्हे ख्वाबों में ,
कोई न कोई जरुर मिल जायेगा |

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