दोस्तों
अस्स्लामॉलेकुम ..........मेरे चेहरे पर उस वक्त जीत की ख़ुशी होती है जब
खुदा मेरे किसी दुश्मन को बेबस लाचार करके मेरी पनाह में मदद मांगने लियें
भेजता है ....में मेरी इस जीत पर खुदा का शुक्र अदा कर पूरी इमानदारी से
इस बेबस लाचार दुश्मन की मदद करता हूँ ....लेकिन मेरे मित्र मुझ से नाराज़
होते है और कहते है यह शख्स जो कल तुम्हे गालिया देता था आज तुम उसका काम
कर रहे हो .........अल्लाह जाने में गलत हूँ या सही लेकिन में सोचता हूँ
खुद मेरे दुश्मनों को मेरे आगे यूँ नतमस्तक कर मुझे इनाम देता है और में
मेरे खुदा का शुक्रिया अदा करता हूँ .............अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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