ईश्वर ने हमारे शरीर की रचना कुछ इस प्रकार की है की
ना तो हम अपनी ही पीठ थप-थपा सकते है .............
और
और ना ही अपने आप को लात मार सकते है ............
इसलिए
मित्र और आलोचक जरूरी होती है .......!!!
ना तो हम अपनी ही पीठ थप-थपा सकते है .............
और
और ना ही अपने आप को लात मार सकते है ............
इसलिए
मित्र और आलोचक जरूरी होती है .......!!!
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