मित्रो
! आज महान भौतिकवादी दार्शनिक मार्क्स का जन्मदिन है..! अपनी विलक्षण
विश्वदृष्टि से मार्क्स ने वैज्ञानिक समाजवाद की रुपरेखा दुनिया के सभी
सभ्य देशों को दी.., मजदूर आन्दोलन का सिद्धान्त बनाया.., गरीब सर्वहारा के
लिए जीवन भर लड़ते रहे.., शिद्दत से उन्हें याद करते हुए... पूंजी के इस
धमासान-समय में... मुझे अजमेर में मिला नन्हा आफ़ताब याद आ रहा है... 13 बरस
का आफ़ताब अजमेर की सड़कों पर रिक्शा चलाता है. आफ़ताब के पिता बीमार रहते
हैं, मां कई घरो में चौका-बर्तन करती हैं, तीन और छोटे भाई-बहन हैं..इसी
कारण आफताब इस कच्ची उम्र में रिक्शा चलाने को विवश है...! समाज में बराबरी
का जो सपना मार्क्स ने देखा था.. उस सपने की टूटी किरचें चेतना में चुभती
हैं आज भी....!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)