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05 मई 2013

प्रत्येक प्रेमी अपनी प्रेमिका से यही कहता है

प्रत्येक प्रेमी अपनी प्रेमिका से यही कहता है-जिस तरह से मैं तुमसे प्रेम करता हूं, वैसा प्रेम कभी आज तक नहीं किया। मैं कभी ऐसी स्त्री से मिला ही नहीं, जो तुम्हारा मुकाबला कर सके। तुम तो बस अनूठी हो। मैं तुम्हे हमेशा-हमेशा प्रेम करता ही रहूंगा।’
प्रेम दूसरों ने भी किया है....उर्दू के एक शायर फैज अहमद फैज का एक बहुत मशहूर शेर है, जिसका भाव है-
प्रेम तो दूसरों ने भी किया है, लेकिन उन्होंने प्रेम केवल तब किया, जब वे जीवित थे, लेकिन मेरी प्यारी मैं तुम्हें तब भी प्रेम करता रहूंगा, जब मैं मर जाऊंगा।
यदि एक साधारण प्रेम भी तुम्हें अलग दृष्टि देता है, तुम्हारे शब्दों को एक नई काव्यात्मकता देता है, तुम्हारे चेहरे को स्वयं अलग भाव-भंगिमा देता है तो एक ऐसे व्यक्ति से प्रेम करना, जो अपने शाश्वत घर में वापस लौट आया है, कुछ ऐसे अनुभव का होना एक बाध्यता है, जो इतना अधिक अनूठा हो, जैसा कभी उससे पूर्व घटा ही न हो और आने वाले अनंत समय में फिर कभी घटेगा भी नहीं। ..........ऐसा नहीं है कि कोई झूठ बोल रहा है, वह अपने अनुभव का अभिव्यक्त कर रहा है और वह चाहे कितनी भी सुंदरता से उसे अभिव्यक्त करे, उसे फिर भी यह अनुभव होता है कि जो कुछ वह कहना चाहता था, वह अनकहा रह गया।

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