आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

05 मई 2013

"प्यार के अक्षांश को आधार दे दो,


"प्यार के अक्षांश को आधार दे दो,
फिर न कहना
स्नेह का विस्तार जिन्दगी के कोण पर संघर्ष करता है
या गुजरते रास्तों से पूछ लेना
हमसफ़र का साथ मैं कैसे निभाऊं ?
और कह दो शाम के थकते से सूरज से
जिन्दगी के रोशनदान से अब यों न झांके
अब क्षितिज का छल मुझे निश्छल बना बैठा
और चन्दा छत की सीढ़ियों से उतर कर रोज आँगन में जो आता है
उसेभी स्नेह के विस्तार की सीमा बताता
वीतरागी अब क्षितिज के पार जा पहुंचा." --- राजीव चतुर्वेदी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...