आपका-अख्तर खान

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07 मई 2013

सुरों में ढालने की कोशिश ........


सुरों में ढालने की कोशिश ........

तेरी मलमल कुर्ती , कमाल कर गई |
मेरे दिल पे ये फिर से , धमाल कर गई |

ओ सुन हमजोली , न कर तू ठिठोली |
की तेरे मेरे रिश्तों की , बोली लग गई |

चली जो पिचकारी , तो भीगी तोरी सारी |
जमाने की नज़र में , तमाशा बन गई |

अब न कर सीनाजोरी , सुन गन्ने दी ये बोरी |
हाँ होले - होले हर अदा , तेरी कमाल कर गई |

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