आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

04 मई 2013

दुष्कर्म समस्या की जड़ तलाशे समाज - प्रणव मुखर्जी


जड़ तलाश कर उसे काटने का अधिकार तो कानून के हाथ में है , नहीं तो जड़ भी तलाश लेंगे उसको समूल नष्ट करने की ताकत भी रखता है ये समाज ? क्यों दुष्कर्मियों को चेहरा छिपा कर अदालत ले जाया जाता है ?. उनको तो(जड़ से) जेल में ही बंद कैदी ख़त्म कर दें,
अगर संरक्षण पुलिस का न हो ? भारत की पुलिस और कानून हमेशा अपराधी के साथ होते हें, अपराधी का मानवाधिकार भी जरुरी होता हें ? पीड़ित की धज्जिया उड़ाई जाती हें ,अपराधी के षडयंत्रो का लाभ अपराधी को मिलता हें, संदेह के लाभ में बरी,
40 साल तक (क्रप्या शांत रहें न्यायालय वयस्त हें ) देखते हुए न्याय की आशा बांधे पीड़ित, न्यायालय के आदेश से लुटा-पिटा महंगी न्याय प्रडाली को कोसता अन्याय सहन करने को मजबूर होता हें ,? क्या ये न्याय हें ? न्याय किसे दिया जाता हें ? पीड़ित को या अपराधी को ?
एडवोकेट,झाँसी, मोबा.09415509233

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...